लो फिर से रात हो चली है
तारों कि बारात निकली है
चांद शहरा सजा है
और चांदनी द्वार खड़ी है-
Arti Chaudhary@
(Lafz - e- arti)
20 Followers 0 Following
Joined 6 January 2021
18 JAN 2021 AT 23:51
10 JAN 2022 AT 12:01
Enjoy feel the moment and live your life to forget everything..
-
8 JAN 2022 AT 14:35
अब वैसी नहीं हूं मैं
मुझे चलता रहना पसंद है कुछ करते रहना ठीक लगता हैं
मगर अभी कुछ नहीं करना चाहती हूं ठहरना चाहती हूं कुछ पल ।
सारी चीजे उनकी जगह पर अच्छी लगती है मुझे सब कुछ सुलझा हुआ भाता है मगर अब सब बदल गया है इसके बिल्कुल विपरित हो गई हूं मैं।
-
10 DEC 2021 AT 17:49
ऐतबार करने का किसी पर अब दिल नहीं करता
ऐसा लग रहा है जैसे अब मै खुद से प्यार नहीं करता-