Arti Chaudhary@   (Lafz - e- arti)
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Joined 6 January 2021


Joined 6 January 2021
18 JAN 2021 AT 23:51

लो फिर से रात हो चली है
तारों कि बारात निकली है
चांद शहरा सजा है
और चांदनी द्वार खड़ी है

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10 JAN 2022 AT 12:01

Enjoy feel the moment and live your life to forget everything..

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10 JAN 2022 AT 11:58

उलझन को करीब से महसूस करो यह बेचैन करके रख देगीं।।

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8 JAN 2022 AT 15:33

क्या क्या बताए तुम्हें यह दर्द अब किस्सा बन गया है।

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8 JAN 2022 AT 14:35

अब वैसी नहीं हूं मैं

मुझे चलता रहना पसंद है कुछ करते रहना ठीक लगता हैं
मगर अभी कुछ नहीं करना चाहती हूं ठहरना चाहती हूं कुछ पल ।
सारी चीजे उनकी जगह पर अच्छी लगती है मुझे सब कुछ सुलझा हुआ भाता है मगर अब सब बदल गया है इसके बिल्कुल विपरित हो गई हूं मैं।

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8 JAN 2022 AT 14:06

सिखा रहीं है जिंदगी सीखते जाओ।।

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8 JAN 2022 AT 14:04

बिखरी हुई भी अच्छी लगने लगी हूं मैं
सुलझना नहीं है अब मुझें।।

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10 DEC 2021 AT 17:51

बहुत तकलीफ हो रहीं है
बस कारण ही नहीं पता हैं।

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10 DEC 2021 AT 17:49

ऐतबार करने का किसी पर अब दिल नहीं करता
ऐसा लग रहा है जैसे अब मै खुद से प्यार नहीं करता

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21 NOV 2021 AT 22:13

इस ठंडी की आग में जिंदगी राख़ सी हो रहीं हैं

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