A star once looked me in the eye
From high above my window,
Murmuring
“The sky is gruesome,” it said
“How small you must feel.”-
"I'm not going there to die.... read more
कहां निकल चुका खुद की तलाश में
आते खयाल खुद को रोक लेता काश मैं
करके तमाशे दे रहा दिल को दिलासे
जब की जानता हूं खुद को मैं अच्छी तरह से
कैसे हट जाता पीछे मैं अपनी जगह से
कैसे छोड़ देता जीता मैं जिसकी वजह से
होजाए चाहे पूरी दुनिया खिलाफ
मैं नी आने वाला बाज मुझे अपना पता है
अकेला रात 4 बजे, ज़ेहन में सवाल भरे
घूम रहा दर बदर वहम दिल पर वार करे
जहर से अल्फाज भरे कैसे कुछ इजहार करे
टूट कर गया बिखर और कितना इंतजार करे-
बेफिक्र थी ज़िंदगी
तेरे आने से पहले
अब जागते सोते तेरा खयाल करता हूं
जिनके जवाब ना दे पाई ये जिंदगी
मैं खुद से वो सवाल करता हूं
खुली आंखों में रात कट जाती है
बीते लम्हों में ये जिंदगी बट जाती है
आखिर क्या जितने को ये दिल हारा है
तेरे एक हां के लिए खोया ये जहां सारा है
ना जाने कब तक ये सांस चलेगी
खो जाऊंगा जो तेरी दुनिया से
शायद तब मेरे इश्क की बात चलेगी
मौजूद रहूंगा तुझमें एक याद बनके
लौट आऊंगा हर रोज एक एहसास बनके
ना हो कुबूल
तो आखरी खत समझ के जला देना
दिल आ जाए तो
उन खातों को आंसू से सजा लेना-
जिद्द पे आजाऊ तो मुड़ के भी ना देखूं
तुम अभी मेरे गुरूर से वाकिफ कहां हो-
अगर लगे की आप बेहद अकेले हो तो बस एक बार मुस्कुरा कर खुद को आईने में देख लीजिएगा।
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आलम फ़ाज़िल यार सयाने
आये थे हमको समझाने
हमने कहा तुम्हें खाक पता है
जिसको लगी है वो ही जाने
-
जलन उन फ़िज़ाओं से हमें तब हो गई
जब बिन इजाज़त वो उन्हें हक़ से छू गई-
Should I tell you of this story?
A tale of love, of warmth and glory.
Wall of throats entailing stories untold
It accumulates and gathers
Weighing with words that they hold
Unsaid and unheard these words
but only felt as they unfold
With meanings so inexplicable,
May I then try to explain?
These letters become words become feelings
But nothing tangible can they ever contain
For every time you lose
You win all over again.-