सफ़र और मुसाफिर 🌟🌟
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#msdian
धूप के भी मायने बदल गए है। इन फिजाओं में जो ठंड की दस्तक हुई हैं। ये किरने जो चेहरे पर पड़ती हैं नूर सा छा जाता है और ये धूप कोहिनूर सा लगता हैं।।🌄
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शाम बस तुम्हरी है ना ये चांद की हैं ना सुरज की बस ज़िम्मेदारी के पलों के सुकून की है, ये शाम मेहबूब की हाथों से बनी चाय की प्याली कि हैं बस एक मुस्कुराहट से सारा थकान मिटाने वाली कि हैं। अपने आसवाद मिटाने वाले नदी के किनारों की हैं। ये शाम किसी के हाथों में हाथ पकड़ साथ चलने के वादों की हैं। बस यूं समझ लीजिए ये शाम रुहानी है।।🌄🌝🌚
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ज़फरानी शाम हैं तेरे होने का गुमान है
तेरे ये नशीली आंखों के गहराई में डूबे बैठे
तेरे काले लंबे बाल और तेरा वसीम सा चेहरा
इन्हें दिख कर दिल गुल-पोश हो जाता है।।-
सौर्यमंडल के सुर्य से हो तुम और में ठहरी चांद तुम्हारे पास होकर तो पूर्णिमा हूं तुमसे दूर होके अमावस 💕✨🌚
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खुद से खुद की बातें..... जब भी मैं अकेले होती हूं मैं यही सोचता हूं कि अभी से मेरी आगे की जिंदगी कैसी होगी??... इन रास्तों के मंजिल किस ओर है मेरे हक में होंगे या यूंही बेमतलब सा सफ़र होगा इसके मायने भी हैं क्या या अवसाद वाले रास्ते हैं।।
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प्यारी ❤️ किसी ने यूंही पुकारा था हमे,
यूंही यादों में हैं हमारे।। ✨✨-
Mana hum bhut dur hai tere se,
Lekin tere intna to pas bhi to nhi hai kisi ke,
Tere sath hona wjah h bhut sari baton ka,
Tera sath nhi hona bewajah h-
रात को यूं चांद देखना ,
ये मिठी मिठी ठंड और
ये कुहासे की बूंदों का गिरना,
ये परवीन का यूं चमकाना,
बचपन की मीठा सा बचपना
और वो गुजरा ज़माना ,
बस ज़िम्मेदारी के ज़माने में ,
हमे कुछ पल वज्द दे जाती हैं।-