मुझे दहेज चाहिए
तुमको जान सकूं
ऐसा एक संदूक लाना,
बचपन की तस्वीर से
अभी तक की अपनी तब्दीली ले आना,
गुड़िया के बाल से
अपने घुंघुरू की झंकार ले आना
तुम्हारा मन पढ़ सकूं
ऐसा एक आईना ले आना
मुझे दहेज चाहिए..................
अपनी बिंदी भी ले आना
और अपना हाल ए दिल भी बता जाना
बोलूं मैं कुछ तो रोक देना मुझे
ऐसा करके अपना हक तो जता जाना
चाहिए बस इतना मुझे,
आते आते अपना काजल भी ले आना
और अपने पायल से मेरी नीदे उड़ा जाना
दहेज तो बस एक बहाना है
असल में तो बस बचपन जानना है
जनता हूं मुस्किल है तुम्हारे लिए
पर हाथ थामा है अब तो जिंदगी भर के लिए
मुझे दहेज चाहिए.....................
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जो किसी को ना बता सकूं वह,अल्फाज लिखा करती हू... read more
अपने किरदार को क्या खूब निभाते हो
मन की बात को जुबां तक भी नहीं लाते हो....-
तो हमे भी समझना
मंज़िल एक ही है,
कभी तुम भी ये बोल देना
ख्यालों की दुनिया में,
कुछ इस तरह खो गई हूं
हकीकत को भूल कर,
बाकी सब याद कर बैठी हूं!-
से सवाल कैसा
तुम तो चले गए
अब मेरा हक कैसा
हो खुशनसीब जो रोका नहीं हमने
खैर, पाके खो दिया ये समझा नहीं तुमने-
तेरे ख्याल में डूबकर अक्सर कुछ लिखती हूं
मेरे सादगी को जरा समझो,
हर वक्त क्यों तुम्हारा ही जिक्र किया करती हूं
तेरे प्रेम में खोकर अक्सर कुछ याद करती हूं
सावन के महीनों में इन बूंदों की तरह गिरती हूं
इन पन्नों की शुक्रगुजार हूं,
अक्सर इनको अपना हाल-ए-दिल बताती हूं
इनका भी क्या कहना हर बार इन्हें ही तो सताती हूं
एहसास के पन्नों को यूं ही दबा देती हूं
अक्सर तुम्हें सोच कर मुस्कुरा दिया करती हूं
नहीं जताना प्यार मुझको क्यों यही मैं सोचती हूं,
ज्यादा तो नहीं पता पर शायद खुद से ही मैं डरती हूं
मेरे ख्यालों से तालुकात करके देखो
कभी तो मुझे याद करके देखो
वो मुलाकात भरे दिन को समेट कर देखो,
मेरी मुस्कुराहट का एक बार राज बनकर देखो
तेरे ख्यालों में रहती हूं ,
अक्सर किसी और को देखकर तुम्हें समझा करती हूं
चाय की प्याली और सावन का महीना
भीगा हो मौसम और संग तेरे हो जीना
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मैं करूंगी इंतजार तुम आना जरूर
अधूरे ख्वाब को पूरा करना जरूर
माना की दूरियां ज्यादा है
पर अपना नाता तो पुराना है-