ARPIT VERMA   (अर्पित वर्मा)
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Joined 6 December 2019


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Joined 6 December 2019
18 OCT 2024 AT 22:39

किस हद तक टूट चूका हूँ;इसका अंदाज़ा क्या लगाओगे,
मैं पलकें भी मिलाता हूँ तो आँखें भर आती हैं।।।

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13 OCT 2024 AT 22:21

मैंने तुमसे कहा था; कोई तो मर्ज़ होगा जो मुझे मुझसे मिला दे,
लेकिन मैं था कैसा;यह तो कोई मुझे बतला दे।।

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12 OCT 2024 AT 23:45

32 की उम्र में 64 का तज़ुर्बा हुआ,
मैं तो सबका हुआ, पर मेरा कोई ना हुआ।।

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11 OCT 2024 AT 22:49

कहीं खो सा गया हूँ मैं,
कोई तो मर्ज़ होगा मुझे मुझसे मिलाने के लिए।।

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23 JUN 2024 AT 22:33

ज़िन्दगी का सच में कोई भरोसा नहीं,
मैंने घी से भरे चिरागों को भी बुझते हुए देखा है।।।

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23 JUN 2024 AT 22:25

तज़ुर्बे की बात मुझसे ना करना,
कच्ची उम्र में ही प्यार, रिश्ते,पैसों..,सबका रंग देख चूका हूँ।।।

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26 OCT 2022 AT 21:33

शायद वो झूठ की तरह है,
हर वक़्त ज़ेहन में है,
सच होती; तो कब का भूल जाता।।।।

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6 AUG 2022 AT 9:00

शायद भूल गया हूँ लिखना...,
मेरी रिश्तों की कॉपी हर बार अधूरी रह जाती है।।।

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16 DEC 2021 AT 10:33

सुनो..., देख कर आया हूँ बाज़ार में रिश्ते,
सुना है खरीदी हुई चीज़े अपनी होती हैं।।।।

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28 OCT 2021 AT 16:33

बहुत गहरी नींद सोया हुआ है वक़्त मेरा...,
थक गया हूँ उसे जगाते जगाते।।।।

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