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अर्पित शर्मा
(© अर्पित शर्मा ABVP)
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लेखक...
Joined 27 December 2018
3 OCT 2021 AT 5:48
नैपकिन से मुँह पोछकर
रोड पर फेकते हुए वो बोला
मौका मिला तो मैं भी
देश के लिए कुछ करूँगा...-
3 JAN 2020 AT 20:08
कुछ बातें की जाए
कुछ राय मिलाई जाए
आ बैठ जा अर्पित पल दो पल
तुझे चाय पिलाई जाए-
23 JUN 2019 AT 18:02
आसमान से गिरी बूँद की कहानी लिख रहा हूँ
मिट्टी से आयी खुशबू की जुबानी लिख रहा हूँ
किसान के चेहरे की मुस्कान लिख रहा हूँ
अपनी कलम से मैं बूँद का पूरा जहान लिख रहा हूँ...-
20 JUN 2019 AT 17:55
बड़ी कड़वाहटे है इस वजह से ऐसा नहीं होता
शक्कर खाता चला जाता हूँ मुँह मीठा नहीं होता-
19 JUN 2019 AT 13:13
स्याही की भी एक अलग दास्तान होती है
कोई गिराता है तो अल्फाज बनाती है
और खुद गिर जाती है तो दाग बनाती है...-
18 JUN 2019 AT 9:27
बैठ लिया करो दो मिनट घर के बुजुर्गो के साथ
हर एक बात Google पर नहीं होती...-
16 JUN 2019 AT 19:01
बनाकर मिट्टी के खिलौने
खेलते थे पीपल की छाँव में...
मेरा बचपन महक रहा है
आज भी मेरे गाँव में...-