Arpit Sachan   (अर्पित सचान)
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मन की बाते कलम की जुबान से ...
Joined 2 April 2019


मन की बाते कलम की जुबान से ...
Joined 2 April 2019
10 HOURS AGO

तेरी आँखें — जैसे गहरे झील का सन्नाटा,
जहाँ उतरकर हर कोई खुद को पा ले।

तेरी मुस्कान — जैसे सुबह का पहला उजाला,
जो अंधेरों को पलभर में मिटा दे।

तेरी ज़ुल्फ़ें — जैसे बदली की ठंडी छाँव,
जो थके दिलों को सुकून पहुँचा दे।

तेरी बातों में — मिठास का वो जादू है,
जिसे सुनकर हर लफ़्ज़ भी शर्मिंदा हो जाए।

और तू…
जैसे रूहानी ख़्वाब का सबसे हसीन टुकड़ा,
जिसे देखने के बाद आँखें और कुछ देखना ही न चाहें।

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20 HOURS AGO

तुम फिर से ख्वाबों में उतर आई हो?
तुम तो रुख़्सत हो गई थीं ना…

ये नज़रों में मोहब्बत का समंदर कैसा?
तुम तो नज़रें चुरा गई थीं ना…

आज कहती हो "मैं सिर्फ़ तेरी हूँ",
पर तुम तो दामन छुड़ा गई थीं ना…

तेरे होंठों पे अब भी मेरा नाम है,
तुम तो मुझे भुला गई थीं ना…

अब लौट कर आई भी हो तो क्या,
हम तो तेरे बिना जीना सीख गए थे ना…

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29 JUN AT 19:27

सावन की रुत आई, और साथ तेरा ख्याल लाया,
बूंदों की रुनझुन में, तेरा नाम फिर गुनगुनाया।

पलकों पे ठहरी बूँदें, दिल में तेरा असर है,
हर एक झोंके में जैसे, तेरा ही सफर है।

भीगी फिज़ाओं में, तेरी हँसी की मिठास है,
सावन की इस रात में, बस तेरा एहसास है।

वो पेड़ के नीचे भीगना, तेरा मुस्कुरा देना,
पलकों से बारिश रोकना, फिर चुपके से कह देना।

प्यार भी सावन सा, आता है बेमौसम,
भीगती हैं रूहें जब, मिलते हैं दिल हर दम।

तू होती है जब पास, तो हर बूँद खास लगती है,
तेरे बिना बारिश भी बस एक उदास लगती है।

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29 JUN AT 12:39

चाँदनी चुपचाप चली, चुपचाप चाँद संग,
चुपचाप चरागों में चमकी, चुपचाप छा गया रंग।

बयार बहारों की बनी, बगिया बिखरी बात,
बुलबुल बाँसुरी सी बजी, बरसे सपनों के साथ।

नील नभ ने नर्म नयन से, नमी सी नींद बुनाई,
नदी नयन से नाचे धीरे, नयनों की शरमाई।

सजग सितारे संग सपन, संध्या साज सजाए,
सन्नाटे सी सांसों में, सिमटी सुध-बुध जाए।

पलकों पर परियों की, पावन परी कथा,
प्रीत पनघट पर पिघली, पीहर सी हर व्यथा।

झिलमिल झरनों ने जब, जुगनू जप लिए,
जागी जोगन ज्यों जपते, जीवन के सवेरे दिए।

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28 JUN AT 21:13

दिल तो चाहेगा ही, चाँद को छू आने को,
तेरी बातों में फिर से खो जाने को।

कुछ ख्वाब पुराने, आँखों में पलते हैं,
तेरे नाम से हर मौसम बदलते हैं।

वो सुबहें भी तुझसे शुरू होती थीं,
अब रातें भी तेरी यादों से रोती हैं।

दिल तो पागल है, समझता ही नहीं,
हर बार तुझमें ही सुकून खोजता है कहीं।

तू जो ना हो, तो भी तू ही साथ लगे,
तेरा नाम अब साँसों के साथ जिए।

दिल तो चाहेगा ही… फिर एक बार तुझे…
वक़्त को रोक कर बस देख भर लूं तुझे।

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26 JUN AT 15:09

कल तू मेरी गली से यूँ ही गुज़री थी,
हर कदम पे जैसे कोई कहानी रुकी थी।

तेरी नज़रों ने जो मुझसे बार-बार बात की,
कुछ अनकहे जज़्बातों की शुरुआत की।

ना तू बोली, ना मैं कुछ कह पाया,
मगर तेरी हर नज़र ने मुझे पढ़ सा लिया।

कहीं शिकवा था, कहीं छुपा सा प्यार,
तेरी आंखों में बसी थी बीते लम्हों की बहार।

बस एक पल को तू ठहर जाती अगर,
शायद मेरी खामोशी भी बोल पड़ती इस दफ़ा।

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24 JUN AT 22:08

तुम्हारे बिना क्यों बेचैन हूँ मैं,
जैसे अधूरी सी कोई रैन हूँ मैं।

तेरी बातों की ख़ुशबू नहीं है हवा में,
तेरे होने का जैसे चैन हूँ मैं।

हर पल तुझे सोचूं, हर लम्हा तुझसे जुड़ा,
फिर भी तुझसे दूर इक सज़ा में हूँ मैं।

न नींद आती है, न ख्वाब सजे हैं,
तेरे बिना जैसे वीरान बाग़बां हूँ मैं।

कह दो अगर लौट आओ किसी रोज़ फिर से,
अब भी तेरे ही इंतज़ार में ठहरा हूँ मैं।

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24 JUN AT 16:12

छुप कर आती है, कुछ कह जाती है,
हवा भी तो तेरी यादों की तरह लगती है।

कभी गालों को सहलाती है प्यार से,
कभी बालों में उलझ कर मुस्कुराती है।

वो ताज़गी लाती है थके दिलों में,
जैसे तू बिन देखे भी जी ले मुझे।

कभी खुशबू बनके तेरे शहर से आती है,
कभी चुपके से तेरे नाम का पैग़ाम लाती है।

ना दिखती है, ना रुकती है,
पर एहसासों में हरदम बसी रहती है।

ये हवा भी शायद तुझसे ही जलती है,
जो मेरी धड़कनों में तेरा नाम चलती है।

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24 JUN AT 9:10

तेरे बिना जो लम्हा गुज़रा, वो सदी बन गया,
हर साँस में तेरा नाम, जैसे खुदा बन गया।

तेरी यादों की परछाइयाँ अब भी साथ चलती हैं,
मेरे ख़्वाबों की तन्हाइयाँ तुझसे बात करती हैं।

ना तू पास है, ना ही दूर लगता है,
तेरा ख्याल हर रोज़ मेरी रूह में उतरता है।

मैं तुझे शब्दों में बाँधने चला था कभी,
अब एहसास भी खुद तेरे होने की ज़ुबां बन गया।

तू मेरा सुकून है, तू मेरी बेचैनी भी,
तू ही दवा है मेरी, तू ही मेरी दीवानी भी।

हर मोड़ पे, हर राह पे तेरा ही नाम लिया मैंने,
इश्क़ को खुदा मानकर तुझमें खुद को जिया मैंने।

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21 JUN AT 8:19

तेरा ख्याल, मेरी कलम — एक साथ

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