थामली तुमने जब ज़िन्दगी की डोर ,
तो क्यूं जमीं का ख्याल करे
क्यूं ना पतंग बन कर उड़े ,
क्यूं ना आसमां से सवाल करे ।-
जुबां पे इश्क़ , दिल में गुबार रखते हो
शायद तुम भी किसी से प्यार करते हो,
कभी रास्ते में टकराए थे हम दोनों,
क्या उस मुलाकात को अब भी याद करते हो।
तुम्हें शिक़ायत हैं में बहुत कम मिला तुम्हे,
फ़िर भी मुस्कुरा कर इस ज़माने से बात करते हो ।-
ना कोई अपना है ना कोई पराया।
एक शख्स है भीड़ में और उसका ये अफसाना ।
हर चेहरा नया है और हर नज़ारा
बस अपना सा ढूंढ़ रहा हूं एक यार पुराना ।
कहीं खुशी का समां कहीं आंखों में नशा
में ढूंढ रहा हूं बस एक घर का पता ।
बेबाकी से चल रहा हूं दुनियादारी पीछे छोड़ के यहां
मेरे सिवा किसी ओर को ना यहां मेरा पता ।
अगर में मुसाफिर होता तो तुझे अच्छे से देखता
अब यहीं रहना है तो क्या ही तुझे देखना ।
अब ये शहर ना जाने कब अपनाएगा
जिस दिन अपनाएगा धीरे धीरे अपनी कीमत खोता जाएगा।-
किस्से सुनाते फ़िर रहे है
हर शख्स को गली गली हम,
जिंदगी बहुत आसान है
किसी को अपना मान ले तो हम।-
मुकाबला कोई जैसा भी हो,
किसी की तो हार होती है,
ज़िन्दगी कितनी भी कामयाब हो,
मौत के हाथों ही उसकी हार होती है ।-
किस शहर की ओर जाएं हम,
जहां उसकी याद ना हो ,
एक शहर तन्हाईयो का हो,
जिसमे खुशी की बरसात ना हो ।-
फोन में तुम्हारी तस्वीरों को देखा करते है
एक रोशनी से घर में उजाला किया करते है
लम्हें जो तुम्हारे इन तस्वीरों में कैद है,
एक एक कर उन लम्हों को हम जिया करते है ।-
सफर यूंही ख़तम होता नहीं
बिछड़ना किसी का अंत होता नहीं
भले ही लाख बुरा कहे कोई उसको,
पर हमको दूसरों पर यक़ीन होता नहीं ।-
ये बारिशे अलग सुकून दे जाती है
मिट्टी की खुशबू हवा में घोल जाती है
बरसती हुई बूंदों का बदन को भिगोना
एक नया रोमांच जगा जाती है
बहते हुए पानी में कागज़ की नाव का तेरना
अपने हर सफ़र की याद दिला जाती है
छतरी से बारिश को अपने से जुदा करना
एक अधूरे प्यार की दास्तां बयां कर जाती है
इन बारिशों को देख कर लिखने का जी करता है
ये मेरी कलम का प्यार जगा जाती है ।
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में तुमसे ज्यादा वक़्त रूठा रह नहीं सकता
गलती तुम्हारी हो पर सजा अपने आप को दे नहीं सकता
उदासी के बादल घेर लेते है मकां को मेरे,
फिर ऐसी बारिशों में अकेले भीग नहीं सकता ।-