Arpit Gupta   (Arpit)
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Joined 8 April 2020


Joined 8 April 2020
14 JAN 2021 AT 12:33

थामली तुमने जब ज़िन्दगी की डोर ,
तो क्यूं जमीं का ख्याल करे
क्यूं ना पतंग बन कर उड़े ,
क्यूं ना आसमां से सवाल करे ।

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3 JAN 2021 AT 17:54

जुबां पे इश्क़ , दिल में गुबार रखते हो
शायद तुम भी किसी से प्यार करते हो,

कभी रास्ते में टकराए थे हम दोनों,
क्या उस मुलाकात को अब भी याद करते हो।

तुम्हें शिक़ायत हैं में बहुत कम मिला तुम्हे,
फ़िर भी मुस्कुरा कर इस ज़माने से बात करते हो ।

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3 NOV 2020 AT 13:23

ना कोई अपना है ना कोई पराया।
एक शख्स है भीड़ में और उसका ये अफसाना ।

हर चेहरा नया है और हर नज़ारा
बस अपना सा ढूंढ़ रहा हूं एक यार पुराना ।

कहीं खुशी का समां कहीं आंखों में नशा
में ढूंढ रहा हूं बस एक घर का पता ।

बेबाकी से चल रहा हूं दुनियादारी पीछे छोड़ के यहां
मेरे सिवा किसी ओर को ना यहां मेरा पता ।

अगर में मुसाफिर होता तो तुझे अच्छे से देखता
अब यहीं रहना है तो क्या ही तुझे देखना ।

अब ये शहर ना जाने कब अपनाएगा
जिस दिन अपनाएगा धीरे धीरे अपनी कीमत खोता जाएगा।

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6 OCT 2020 AT 21:24

किस्से सुनाते फ़िर रहे है
हर शख्स को गली गली हम,
जिंदगी बहुत आसान है
किसी को अपना मान ले तो हम।

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5 OCT 2020 AT 19:03

‍ मुकाबला कोई जैसा भी हो,
किसी की तो हार होती है,
ज़िन्दगी कितनी भी कामयाब हो,
मौत के हाथों ही उसकी हार होती है ।

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4 OCT 2020 AT 16:04

किस शहर की ओर जाएं हम,
जहां उसकी याद ना हो ,
एक शहर तन्हाईयो का हो,
जिसमे खुशी की बरसात ना हो ।

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20 SEP 2020 AT 15:45

फोन में तुम्हारी तस्वीरों को देखा करते है
एक रोशनी से घर में उजाला किया करते है
लम्हें जो तुम्हारे इन तस्वीरों में कैद है,
एक एक कर उन लम्हों को हम जिया करते है ।

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17 SEP 2020 AT 19:43

सफर यूंही ख़तम होता नहीं
बिछड़ना किसी का अंत होता नहीं
भले ही लाख बुरा कहे कोई उसको,
पर हमको दूसरों पर यक़ीन होता नहीं ।

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3 SEP 2020 AT 19:49

ये बारिशे अलग सुकून दे जाती है
मिट्टी की खुशबू हवा में घोल जाती है

बरसती हुई बूंदों का बदन को भिगोना
एक नया रोमांच जगा जाती है

बहते हुए पानी में कागज़ की नाव का तेरना
अपने हर सफ़र की याद दिला जाती है

छतरी से बारिश को अपने से जुदा करना
एक अधूरे प्यार की दास्तां बयां कर जाती है

इन बारिशों को देख कर लिखने का जी करता है
ये मेरी कलम का प्यार जगा जाती है ।

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1 SEP 2020 AT 20:00

में तुमसे ज्यादा वक़्त रूठा रह नहीं सकता
गलती तुम्हारी हो पर सजा अपने आप को दे नहीं सकता
उदासी के बादल घेर लेते है मकां को मेरे,
फिर ऐसी बारिशों में अकेले भीग नहीं सकता ।

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