Arpit Dwivedi  
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"रहस्य"
Joined 11 June 2019


"रहस्य"
Joined 11 June 2019
5 JUL AT 12:22

डूब जाने को जी चाहता है,
ये किनारे अब रास नहीं आते....!!
वो जो दूर तुम्हे बेबाक चाहते है,
दूर ही रहते हैं पास नहीं आते....!!
मैने आजमाया है,और खूब आजमाया है,
आजमाने से कोई ख़ास नहीं आते....!!
ढककर रखो, न रखो तुम्हारा है,
मेरी नज़रों को ये लिबास नहीं भाते....!!!!

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5 JUL AT 0:20

बड़े दिन बाद ये आभार आया है....
नए शख़्स को मुझपर दुलार आया है....!!
कितने हसीन हो, ये पढ़ा है मैने....
लफ्ज़ों का दौर किस कगार आया है...???
ऐतबार मत करना सन्नाटे के शोर पर...
दबे पाँव फिर कोई शिकार आया है....!!
अच्छा फिर लगने लगा हु किसी को....
खतरा फिर किसी प्रकार आया है....!!!!

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4 JUL AT 12:40

कह रही हो इस तरह, सिखा देने के लिए....
एक हुनर जो हम में है, दिखा देने के लिए....!!
तुम जो हो सके तो फिर, कलम बन के जी सको...
हम किसी कागज़ की भांति, लिखा देने के लिए....!!!!

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29 JUN AT 19:19

नाराजगी नहीं, ये है मोहब्बत तुमसे....
शिकायत भी और एक दिक्कत तुमसे...!!
बरसो पुराना मगर दिया तुम्हारा है...
वो एक घाव और जिस्मानी मशक्कत तुमसे...!!!!
अर्पित द्विवेदी

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25 MAY AT 0:41


ये आंखे खामोश नहीं होती...
गर मेरे आग़ोश नहीं होती...
सिर्फ जुबां लड़खड़ाने पर....
वो लड़की नकाबपोश नहीं होती...

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6 MAY AT 0:31

किए हुए वादे की तस्लीम देखनी है....
मुझे उसके कमरे की तस्वीर देखनी है...!!
यूं तो कोई रिश्ता न था हमारे बीच में लेकिन....
मुझे हमारे बीच वो सरजमींन देखनी है....!!!!
एक आईने में सजाई उसने खूबसूरती बहुत....
उसी आईने में सजी वो हसीन देखनी है.....!!
मेरी ख्वाहिश हो पूरी, चाहे न हो "किस्मत".....
मुझे तुमसे जुड़ी हुई हर चीज़ देखनी है...!!!!

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6 MAY AT 0:06

अधूरा ही रहा तेरे बिन, ये जीवन जी कर....
लिबाज़ भी वही पहने फटे पुराने सी कर....!!
बुझ गई तेरी प्यास,महज़ दो घूंट में लेकिन....
मै प्यासा ही रहा तेरे आंख के आंसू पीकर....!!!!

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28 MAR AT 0:39

अच्छा ये तरीका था, आघात करने के लिए....
अब बहाना ढूंढते हो, विलाप करने के लिए....!!
कहीं यूं न हो, संघर्ष में शालीनता का दौर भंग....
न नसीब हो मिट्टी भी पश्चाताप करने के लिए....!!!!

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13 MAR AT 2:22

एक दरख़्त की जान बचाने के लिए....
मुर्दे मिट्टी में दबाये कद बढ़ाने के लिए....!!
मेरे लोगों धड़कते दिलों में हौसला रखना.....
मशाले कम पड़ेगी दुश्मनों की मुझे जलाने के लिए....!!!!

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28 FEB AT 1:15

कई रंग में आए तो कहर लगता है....
असल रंग में आए तो जहर लगता है....!!
वो शख़्स बा अदब तो मिलने से रहा....
जो बेरंग नजर आए तो डर लगता है....!!!!
एक अरसा गुज़र गया आवाज़ सुनने में....
कोई अल्फ़ाज़ अगर कह दे, तो डर लगता है....!!
बेहतर है कि नज़रबंदी क़ायम रहे....
उसकी आंखों के तकाजों से डर लगता है....!!!!

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