वक्त निकल जाता है गोलियां चलाने में....
रास नही आता जब चूके हुए निशाने में....!!
एकाध कत्ल जब किए तो मालूम चला.....
मज़ा आता है खंजर को ख़ून पिलाने में....!!!!
मैं कोई पेशेवर कातिल तो नही....
हुनर काम आता है लगाने,लाशों को ठिकाने में....!!
दिनभर कहूंगा मैं हिंसा से तुम दूर रहो....
मैं उतरूंगा हिंसा में फिर दिन गुज़र जाने में....!!!!
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