Arpit Dwivedi  
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"रहस्य"
Joined 11 June 2019


"रहस्य"
Joined 11 June 2019
17 HOURS AGO

आंखो की नमी को तुम
मोहब्बत की गमी को तुम
ये खुद की कामिनी को तुम
ये दौर–ए– लाज़मी को तुम
मुसलसल भूल जाने दो
कि तुम बस भूल जाने दो

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17 APR AT 0:58

न जाने कैसा करार करके रखा है....
दवा की शीशी में जहर मिलाके रखा है....!!
रखा है यूं उंगलियों पे नचाकर भी....
सितम ये कि वफादारी का हक दिलाके रखा है...!!!!

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31 MAR AT 19:53

खेली हुई बाजी फिर हारी नही जाती...
मोहब्बत लफ्जों से पुकारी नहीं जाती...!!
तुमको पढ़ पढ़ वर्षो से यूं जिंदा हूं...
अब इससे ज्यादा तारीफ़ मुझसे की नही जाती...!!

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31 MAR AT 19:40

जिसकी तुम्हे तलाश है
वो शख्स बड़ा हताश है
कभी क्रोध कभी अटखेलिया
ये बंदा बड़ा बदमाश है

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31 MAR AT 0:10

फिर एक बार गौर कर फैसला करना
तुम मेरे जज्बातों की कद्र करना
मैं ठहरूंगा हर मोड़ तेरी खुशबू पाकर
तुम हवा को मौजूदगी की ख़बर करना

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29 MAR AT 11:56

गश्त करते हुए गुजर जाता है....
हैरान हूं सोचकर कब घर जाता है.....!!
साथ वालो का साथ मयस्सर न होने पे मालूम पड़ा ..
जिसपे उपकार करता हु वो मर जाता है....!!!!

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28 MAR AT 10:55

तुम भी गुमसुम गुमसुम सी हो
थोड़ी तो खुद्दार बनो
एक पहिए की इस गाड़ी का
तुम भी तो उद्धार बनो

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21 MAR AT 10:16

वक्त निकल जाता है गोलियां चलाने में....
रास नही आता जब चूके हुए निशाने में....!!
एकाध कत्ल जब किए तो मालूम चला.....
मज़ा आता है खंजर को ख़ून पिलाने में....!!!!
मैं कोई पेशेवर कातिल तो नही....
हुनर काम आता है लगाने,लाशों को ठिकाने में....!!
दिनभर कहूंगा मैं हिंसा से तुम दूर रहो....
मैं उतरूंगा हिंसा में फिर दिन गुज़र जाने में....!!!!

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28 FEB AT 22:41

इस काम को करने का मलाल रखा है....
हां मगर जगाने का तरीका निकाल रखा है...!!
जलाने वालो ने जलाई उसकी हर चीज़ मगर.....
मैंने एक कतरा खून अब भी संभाल रखा हैं...!!!!
ढूंढने वाले जवाब ढूंढते रहते है....
मैंने अब भी आंखों में सवाल रखा है....!!
याद रहे मेरी कोशिशों पे पर्दा बना रहे....
इन पर्दो के पीछे बड़ा बवाल रखा है....!!!!
मैं नही चाहता की कोई खामोश रहे....
फिर भी हर ओर शांति का माहौल रखा है.....!!
दुआ करो की मेरी हस्ती सलामत रहे...
इस शक्सियत ने जिंदादिली का ख्याल रखा है....!!!!
अर्पित द्विवेदी

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26 FEB AT 0:55

मै जानता हू वो मेरी तलाश मे है....
ये वही शक्स जो कभी तेरी खिदमत में था....!!
मुझे मौत के घाट उतारने भेजा है उसे....!!
मै भी वही शक्स जो उसी पिंजरे में था.....!!!!
उसके हर पैंतरे से वाकिफ रहा हूं मैं.....
वो भी मेरी फुर्ती की दहशत में था....!!
अपने फ़ायदे को बेकार भेजा उसे.....
वो तेरी दरबानी में खूब जचता था.....!!!!
मेरे खून से क्या प्यास बुझेगी उसकी....
मै भी तेरे शिकारियों में कभी अव्वल था....!!
उसकी लाश को निशानी बनाकर भेजूंगा....
मुझे मालूम हैं तुझे ये तोहफ़ा अच्छा लगता था....!!!!

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