ARPIT   (अर्पित प्रताप सिंह)
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पेट का बल लगाकर
हँसने वाला लड़का!.
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तुम्हारे नाम कुछ ख़त!.
Joined 28 December 2018


पेट का बल लगाकर
हँसने वाला लड़का!.
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तुम्हारे नाम कुछ ख़त!.
Joined 28 December 2018
20 JUL AT 13:17

आज जब पीछे मुड़कर देख रहा हूँ तो डर थोड़ा ज्यादा है और आँखें भीगी.
मैंने और मेरे पिता ने एक-दूसरे के साथ बहुत अच्छा बॉन्ड नहीं शेयर किया. शायद मेरे पिता को प्यार दिखाना नहीं आया हो, अंदर से करते ही होंगे. हमने कभी बैठकर बहुत बातें नहीं की. बातें हुईं भी तो राजनीति, खेल जैसे किसी विषय पर. ना ही हंसे साथ में. पिता अपने पिता की भूमिका में सदा रहे. शुरुआत में लगता रहा पिता ऐसे ही होते होगें. थोड़े सख़्त. थोड़े कठोर. थोड़े जिद्दी और बच्चों के प्रति ज्यादा अनुशासित. कभी कोई बात बोलनी हुई तो उसको कहने में कई दिन लग गए. डरते हुए अपनी बात कह पाए. ऐसा नहीं वो डराकर रख रह रहे थे. लेकिन हम कभी सहमत नहीं हुए एक–दूसरे से. वो सेंटर टू लेफ्ट हैं तो मैं सेंटर टू राइट. इसलिए आज–तक अपनी ख़ास बनी नहीं. 
— % &बहुत पहले स्टूडेंट ऑफ द ईयर देखी तो उसका एक दृश्य आंखों में तैर गया, जब वरुण के पिता उसे थप्पड़ मारते हैं और वो गुस्से में घर से निकलते वक्त अपने पिता से कहता है– पापा मैं कुछ करूं या ना करूं, एक अच्छा पिता जरूर बनूंगा.

पिछले कुछ सालों में उन्होंने सारी आज़ादी दे दी, पर अब पिता के अनुशासन का मूल्य समझ आता है. पता नहीं कहीं तो सुना था कि पिता बहुत देर से समझ आते हैं.
— % &खैर, साल 2024 में पिता जी को ब्रेन हैमरेज अटैक आया. हम एक अच्छे प्राइवेट हॉस्पिटल पहुंचे. पिता जी का इलाज शुरू हुआ. डॉक्टर्स ने हम लोगों को सलाह दी कि ऑपरेशन करना पड़ेगा. अभी तक जिस इंसान को लोहा देखते हुए आ रहे थे, पहली बार ICU में  अपने पिता को असहाय देखा तो कलेजा फट गया. ऑपरेशन थिएटर ले जाते वक्त डॉक्टर्स की टीम ने बोला कि आप एक बार मिल लीजिए. पहली बार अपने पिता के दोनों हाथों को पकड़ा और बस इतना बोल पाए कि पापा, आप ठीक हो जाएंगे. सब ठीक हो जाएगा. खूब रोने दिया खुद को. पापा ठीक हुए. हम घर आए. बहुत वक्त पापा के साथ बिताया तो मालूम चला कि, उनका सीना बहोत कोमल है. उन्होंने सिर्फ इतने दिनों तक कठोर होने का अभिनय किया. बस. — % &यहां एक बात और, भारत में एक सरकारी अस्पताल में बेसिक सुविधाएं नहीं हैं. बहुत ही लिमिटेड सोर्सेस है. अगर कहीं सोर्सेस हैं तो डॉक्टर नहीं हैं. IMA के आंकड़ों के अनुसार, ब्रेन हैमरेज से मौत की दर लगभग 15-20% है. भारत में हर साल लगभग 1.8 मिलियन लोग स्ट्रोक का शिकार होते हैं, तो उसमें से लगभग 350,000 से 400,000 लोग ब्रेन हैमरेज की वजह से मर जाते हैं. हमारी सरकारों की क्या तैयारी है इसके लिए? कुछ नहीं. हिंदू–मुस्लिम डिबेट में उन्हें मजा आने लगा है और हमको भी. जिस देश में आज भी लोग भूख से मर रहे हों और सरकार में बैठे हुए लोग दिन–रात झूठ बोलते हों तो उनसे क्या अपेक्षा करेंगे. मेडिकल सर्टिफिकेशन ऑफ कोज़ ऑफ डेथ (MCCD) 2020 रिपोर्ट के अनुसार, सिर्फ 22.5% मृत्यु के कारण आधिकारिक तौर पर दर्ज हैं. हाल में केंद्र सरकार ने कोई रिपोर्ट शेयर भी नहीं की. सोचिए. सरकारों की इस निर्लज्जता को पहचानिए.
— % &अभी एक दिन दादी बता रही थी कि बातों ही बातों में पापा ने एक दिन कहा कि मेरे लड़के ने मुझे वैसे खाना खिलाया जैसे एक माँ अपने छोटे बच्चे को खिलाती है. ये कहते वक्त पिता की आंखों में आंसू थे. एक Turkish Proverb है,

If a father bathes his children, both will laugh, and if a son bathes his father, both will cry.

यकीन मानिए दोस्त, हमारे पिताओं के पास धड़कता हुआ एक बेहद कोमल हृदय है. उनसे गले लगिए. उन्हें गले लगाइए. भले वो जीवन में कभी ना कह पाएं पर चाहते वो भी हैं कि उनके पुत्र उन्हें कस के गले लगाएं. — % &....— % &

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30 NOV 2024 AT 20:36

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4 MAY 2024 AT 11:44

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15 OCT 2022 AT 12:08

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21 SEP 2022 AT 9:49

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24 AUG 2022 AT 14:22

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10 JUL 2022 AT 15:26

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23 JUN 2022 AT 17:56

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29 APR 2022 AT 10:34

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8 JAN 2022 AT 14:01

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