काजल, रौनक, मस्ती, फिर वो, चैन, सुकूँ और नींदें भी,
क्या बतलाएँ, क्या-क्या खोया, इन आँखों ने तेरे बिन।
दिन के उजाले, इनके रोने, पर करते थे, प्रश्न कई,
रो-रो कर है, रात भिगोया, इन आँखों ने तेरे बिन।
इक दिन, विरह-कारावास के, बाद मिलेंगे जी भर के,
दिल रखने भर, ख़्वाब संजोया, इन आँखों ने तेरे बिन।
बादल बन, आँसू-कण, निर्जल, प्रेम धरा पर बरसेंगे,
पीड़ा का, हर कतरा बोया, इन आँखों ने तेरे बिन।
मृत्युदंड से बद्तर जीवन, आठों पहर पलकें भारी,
भार वेदना का यूँ ढोया, इन आँखों ने तेरे बिन।
तुम न आए, धुँधली पड़ गईं, जब यादों की तस्वीरें,
भर-भर आँखें उनको धोया, इन आँखों ने तेरे बिन।
शब से सुबह, दोपहरी से, बांट जोहते, शाम किया,
पल, क्षण, लम्हा, उम्र पिरोया, इन आँखों ने तेरे बिन।
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