अब मैं बस रात होने का इंतजार करता हूं
खुद में ही ख़ाक होने का इंतजार करता हूं
एक सच्ची और निष्पक्ष सलाह की तलाश में
अब एकांत में ही खुद से बात किया करता हूं
सबके लिए किया हर दुख का भागीदार था मैं
क्यूं किया वो सब,अपनी रूह से ये सवाल किया करता हूं
वो भी एक समय था मुझे आज़ाद रहना पसंद था
अब एक बंद कमरे में अपनी उड़ान भरा करता हूं
मेरे पंख बहुत बड़े थे मैं बाज़ों में गिना जाता था
अब पिंजरे में हूं कैद और अपनी सांस गिना करता हूं
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Unpredictable(अप्रत्याशित)
मेरी उमर देख के मेरे तजुर्बे का अंदाजा न लगाना
वरना गच्चा खा जाओगे
तुम्हारे बाप को जो काम बोझ लगता है ना
वो जिम्मेदारी हम अपनी जवानी में निभा चुके हैं-
जज़्बात (emotions)
हां हम जज़्बात रखते हैं,पर अपने बाप के जज़्बात के बाद रखते हैं
जिसने जो जो सलूक किया है हमको तन्हा समझकर
हम झुंड में उन सबका हिसाब रखते हैं
तुम्हें बहुत शौख है ना तीखे सवाल करने का
तो हम भी हर सवाल का मुकम्मल जवाब रखते हैं
लगाते होगे तुम अपने आपको कहीं का नवाब
तो सुन लो हम भी अपनी पहचान का रुआब रखते हैं
तुम रखते होगे दुश्मनी,अपने घमंड की पोटली में बांध कर
हम नेक दिल हैं अपनी पोटली में सुराख रखते हैं
हम देते हैं इज्जत तो अपना हिस्सा समझते हैं
वरना बेहुदों के लिए तो हम अपना दिमाग भी खराब रखते हैं
होकर जख्मी तुम्हारे खंजर से कहीं हम दर्द में तड़प न जाएं
उस ज़ख्म को धोने के लिए कमबख्त हम जेब में शराब रखते हैं-
एक ओर मैं चीख चीख कर सच बोलता रहा,
पर किसी ने ऐतबार ना किया
दूसरी तरफ खूबसूरत चेहरा था,
झूठी कसम खायी
और सारी बाज़ी पलट गई-
ठुकरा के मुझको,तुम जा भी सकते हो,मुझे ग़म नहीं
क्योंकि,मैंने तुम्हे पाने के लिए ईमान बिछाया था,
जाल नहीं-
मैं तुम्हारी नज़र में अच्छा बनूं या नहीं,मुझे फर्क नहीं पड़ता,
खयाल बस इतना रखना कि तुम मेरी नजर में ना गिर जाओ-
Hope Breakdown(उम्मीद टूटना)
उम्मीदों का घरौंदा मत बनाया करो
अंजान मुसाफिरों को घर मत बुलाया करो
किसी की उम्मीदों पर पानी फेर कर आए हो तुम
ऐसे में कम से कम अपना घर तो मत सजाया करो
बहुत वक्त लगा दिया तुमने सिर्फ इतना कहने मे
की मेरे भरोसे मत रहो और ना ही अपना वक्त ज़ाया करो
हमने तुम्हारे कंधो पे हमारे सपनों को सजाया था
एक बार में ऐसे कंधा मत हटाया करो
जितना कहते हो उतना कर के भी दिखा दो साहब
यूं हवा में बातें करके हमे गणित ना पढ़ाया करो
बड़ी मुश्किल से बनाई थी हमने दीवारें इस रिश्ते की
यूं तेज़ बारिश में किसी का घर ना गिराया करो
तुम्हारा चेहरा तुम्हारी ज़ुबान का साथ नहीं दे रहा था
अरे कम से कम हमसे तो कुछ ना छुपाया करो-
मेरे भरोसे का क्या खूब तूने सिला दिया
जो हाथ तेरे सर पर फेरा था
उसी हाथ को तूने जला दिया-
तुम्हें क्या लगा तुम हमसे किया फरेब छुपा ले जाओगे,
अरे उस धुएं ने हमें सब बता दिया कि आग कहां लगी थी-
चाहत
वो हमसे बात करना चाह रहे थे
हम बस थोड़ा और इंतजार करना चाह रहे थे
बहुत अरसों बाद हमने किसी की आंखों में इख्तियार देखा था
एक मुद्दत के बाद हमने ऐसा गुरुवार देखा था
उसकी आंखों की चमक ऐसी थी कि हम आंख नहीं मिला पाये,
सांसें भी तेज़ हो रही थी,पर फिर भी हम दिल को समझाये,
उसकी मीठी सी आवाज़ थी जो अब भी कानों में गूंज रही है,
फिर कब मिलोगे हमसे,मेरी यादें मुझसे पूछ रही हैं
जिस हक़ से तुमने अपना मुझे बताया था
एक पल को सोच के मैं सच में घबराया था
क्या ये सच है जो मैं देख रहा हूं
या एक ख्वाब है जो मैं आंखों में सेंक रहा हूं
फिर आया वक्त उनसे अलविदा कहने का
और मैं लौट आया रख के जज़्बात दुबारा मिलने का
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