आप सभी को नववर्ष की बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं
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Book reviewer...
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किसी ने पूछा क्या है कविता?
मैंने कहा
कविता, दुःख में वो कंधा है
जिसपर सर रखकर
मन को सहलाया जा सकता है
प्रेमियों के लिए
महत्वपूर्ण दस्तावेज है
जिसमें दर्ज़ हो सकता है
कहा-अनकहा प्रेम
और तानाशाह के खिलाफ
समय की पीठ पर लिखी
एक सशक्त गवाही है
कविता!
~अर्पण-
इस बात में रखा क्या है
मैं तुमसे रुबरु हूं ,
तुम मुझसे रूबरू हो
इससे अच्छी और खबर क्या है-
जो बीत गया
वो अब बेहतर लगता है,
जो बीत रहा है।
वो अब बेमानी लगता है
बीत जाने और बीत रहे में
कब जीवन बीत गया,
इसको समझने में एक जमाना लगता है !-
ख्यालों की भीड़ में ,फिर लौट कर तन्हाई आईं है,
तू ना आया मगर बन के क़ासिद तेरी याद आई है !!!-
मैं खुद को बहलाने में मशगूल हूं,
देखने वालों का नज़रिया तो देखिए,
वो कहते हैं कि मैं मगरुर हूं !-
शाम का रंग सुनहरा है,
और मन का रंग गुलाबी!
गर तुम आ जाते तो ...
धनक के सारे रंग
उतर आते आसमान में !-
नहीं...ए अजनबी !
मलाल इस बात है कि..तू गया, तो ऐसे गया
जैसे गुज़र जाता है कोई बीता हुआ लम्हा!
जो लौट कर फिर वापिस नहीं आता...!-
तेरी मुस्कुराहटों से दिल मेरा यूं ही शाद रहे,
मेरी उंगलियों की ये खाली जगह, तेरी उगलियों से आबाद रहे!-
रफ्ता रफ्ता धुन रहा है चांद,बादलों की कपास,
इस बार जाड़े में उसे भी है एक लिहाफ़ की दरकार..!-