एक साधे सब सधे
सब साधे सब जाय ।
जितने सध जाय सीध से
उन हो साधत जाय ।।
साध सके न वीर सबई हो
हम तुम कौन कहाये ।
जीवन खपा देओ साध में
फिर भी सबरे , सध न पाय ।।-
कलम ही ताकत है मेरी, मैं उसी से वार करता हूं
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बहता पानी
आता पैसा
दोनों ही स्वतः
साफ होते रहते है
इनमें न कोई दाग लगता है
न ही कोई दोष
ये विकार मुक्त भी होते है
और विष मुक्त भी
इसे सोर में भी ग्रहण कर सकते है
और सूतक में भी
दोनों में से देखा जाए
तो ,पैसे की शुद्धि
कई अधिक है
इसके आते ही चरित्रहीन
चरित्रवान हो जाता है
आत्ममुग्ध ,आत्मलीन
मान लिया जाता है
शायद इसीलिए
पैसा को पानी में बहाया गया है
पानी को पैसे नहीं !-
समय स्वयं को दोहराएगा
वक्त दुबारा आएगा
जिस दहलीज़ पर खड़े हम है
काल तुम्हें कल वहां पहुँचेगा-
विस्तार फैलाव लाता है
फैलाव से तनाव आता है
तनाव से डोर खिंचती है
खिंचने से दूरी बढ़ती है
बढ़ती दूरी कमज़ोर करती है
कमज़ोर संपर्क टूट जाता है
टूटने से संबंध छूट जाता है
छूटने की यह यात्रा
विस्तार से शुरू होती है
और बिखराव तक जाती है
हूबहू यही यात्रा होती है
पेड़ और पत्तों में
घर और परिवार में
इंसान और रिश्तों में
और शायद !
शरीर और आत्मा में ।-
बिना समर्पित संकल्पों से
छिड़ जातें हैं युद्ध ।
जो संकल्पों में "अर्पण" होते
वे हो जातें हैं बुद्ध ।।-
आपकी हर बात से सहमती रखने वाला, वह आपका कुछ भी हो, मित्र तो बिल्कुल भी नहीं है ।
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जिन्हें अपनी कालीन से मोहब्बत है उन्हें औरों के घर पैर धोकर जाना चाहिए ।
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जमीन पर गिरे पत्तों से सीखो ,
बिना आधार की ऊँचाई
ज्यादा देर तक नहीं टिकती ।-
ज़िन्दगी के मेले में
बहुत से मिले
कुछ साथ में चले
कुछ साथ सा चले ।
याद रखना सभी को
मुमकिन नहीं
बस कोशिशें
इतनी हो चले ,
पांव जिनके साथ चले
हाथ उनका हाथ में चले ।।
ज़िन्दगी के मेले में ....-