Arnav Singh   (' निर्गुणा ')
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मैं वक़्त का मारा हुआ हु, क्या कहु खुद से ही हारा हुआ हु ।
Joined 3 May 2020


मैं वक़्त का मारा हुआ हु, क्या कहु खुद से ही हारा हुआ हु ।
Joined 3 May 2020
29 MAR AT 21:34

मुझे इस बात का गम नही, की उसने ना समझा मुझे...
गम तो इस बात का है की वो नासमझ निकला...

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20 DEC 2024 AT 23:48

उसके ना कहने पे भी,
वो चीज़ दिलवाने की हसरत रखता हूँ..
मैं कभी परख से मना करु, तो वो मान जाती है....

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23 SEP 2023 AT 20:54

इस मकबरे में एक ही चराग है कादिर,
जो बुझने से नहीं पिघलने से डरता है।

जो बुझ गया, तो फिर से जला दिया जाऊंगा,
मगर जो पिघला तो कोन समेटेगा उन्हें....

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29 JUN 2022 AT 15:24

शिकवे नहीं हैं तुमसे अब
हाँ कुछ गिल- ए- रुस्वाई बाकी हैं,
सुना है बर्बाद कर के खुश रेहते हो
तो जान ये जान लो
खुदा की सुनवाई अभी बाकी है ।

तु मधु शाला के मय जैसी है
मैं मेरा गम एक साकी है
खबर आई है कानों तक
अफसोस नही है तुझको
तो ये जान लो
खुदा की सुनवाई अभी बाकी है

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22 JUN 2022 AT 17:03

पता नहीं तेरे आँखों के भवर मे
कैसे मैं डूब गया...
अब ये तैराकी का इनाम
मेरे काम का नही...

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31 MAY 2022 AT 16:26

मेरी मोहब्बत पे बेबाक मजाक करते हो...
क़यामत हो और तुझे करार हो जाए...
आज मेरी तबियत पे सवाल करते हो?
खुदा करे यारों, तुम्हे भी प्यार हो जाए......

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3 MAY 2022 AT 1:49

जिंदगी से रूठ के तेरे दर पे आये थे 'निर्गुणा',
जो तु भी रुखसत हुई तो किधर जायेंगे...

आये थे फ़रियाद मोहब्बते इश्क़ का लेकर,
लेकर गम -ए- दिल कहा जायेंगे.....

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13 APR 2022 AT 22:15

शाम भी है हसीं, तुम नहीं हो कहीं
कोई चाहे मुझे ये नही लाज़मी.....

Read in caption....

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10 APR 2022 AT 0:33

कितना प्रेम मुझे है तुमसे, कभी सफाई नहीं दूंगा,
रहूँगा साथ सदैव तुम्हारे, किंतु दिखलाई नहीं दूंगा..
बैठोगी मन सूना करके, अपने प्रेम को दूना करके
तब आकर अपलक चितवन मे, या फिर मन के अंतरमन मे
एक छोटी हलचल कर दूंगा...
रहूँगा साथ सदैव तुम्हारे, किंतु दिखाई नही दूंगा ।

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26 JAN 2022 AT 11:22

नही चाहिए मुझे एक दिन की देश भक्ति,
मुझे देश प्रेमी हीं रहने दो...
नही चाहिए एक दिन का इंक़िलाब
मुझे देश प्रेमी हीं रहने दो....

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