मुझे इस बात का गम नही, की उसने ना समझा मुझे...
गम तो इस बात का है की वो नासमझ निकला...-
उसके ना कहने पे भी,
वो चीज़ दिलवाने की हसरत रखता हूँ..
मैं कभी परख से मना करु, तो वो मान जाती है....-
इस मकबरे में एक ही चराग है कादिर,
जो बुझने से नहीं पिघलने से डरता है।
जो बुझ गया, तो फिर से जला दिया जाऊंगा,
मगर जो पिघला तो कोन समेटेगा उन्हें....-
शिकवे नहीं हैं तुमसे अब
हाँ कुछ गिल- ए- रुस्वाई बाकी हैं,
सुना है बर्बाद कर के खुश रेहते हो
तो जान ये जान लो
खुदा की सुनवाई अभी बाकी है ।
तु मधु शाला के मय जैसी है
मैं मेरा गम एक साकी है
खबर आई है कानों तक
अफसोस नही है तुझको
तो ये जान लो
खुदा की सुनवाई अभी बाकी है
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पता नहीं तेरे आँखों के भवर मे
कैसे मैं डूब गया...
अब ये तैराकी का इनाम
मेरे काम का नही...-
मेरी मोहब्बत पे बेबाक मजाक करते हो...
क़यामत हो और तुझे करार हो जाए...
आज मेरी तबियत पे सवाल करते हो?
खुदा करे यारों, तुम्हे भी प्यार हो जाए......-
जिंदगी से रूठ के तेरे दर पे आये थे 'निर्गुणा',
जो तु भी रुखसत हुई तो किधर जायेंगे...
आये थे फ़रियाद मोहब्बते इश्क़ का लेकर,
लेकर गम -ए- दिल कहा जायेंगे.....-
शाम भी है हसीं, तुम नहीं हो कहीं
कोई चाहे मुझे ये नही लाज़मी.....
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कितना प्रेम मुझे है तुमसे, कभी सफाई नहीं दूंगा,
रहूँगा साथ सदैव तुम्हारे, किंतु दिखलाई नहीं दूंगा..
बैठोगी मन सूना करके, अपने प्रेम को दूना करके
तब आकर अपलक चितवन मे, या फिर मन के अंतरमन मे
एक छोटी हलचल कर दूंगा...
रहूँगा साथ सदैव तुम्हारे, किंतु दिखाई नही दूंगा ।-
नही चाहिए मुझे एक दिन की देश भक्ति,
मुझे देश प्रेमी हीं रहने दो...
नही चाहिए एक दिन का इंक़िलाब
मुझे देश प्रेमी हीं रहने दो....-