स्वाधीनता संग्राम हो या हो आपातकाल...
चाहे कारगिल की युद्ध में हो परचम लहराना...
या हो UN में जाके हिंदी में भाषण देना...
देश के लिए कौन इतना त्याग कर पाएगा??
राजनीति के इस कीचड़ में भला
इतना साफ और अटल कौन रह पाएगा??
"अटल" एक ही था, "अटल" एक ही रह जाएगा...
भाषण देते सभी हैं...
लेकिन अटल जैसा अब कौन भला मुग्ध कर पाएगा??
कविताएं पढ़ते और लिखते भी सभी हैं...
पर अटल जैसा ज्ञानी लेखक भला देश को कहां मिल पाएगा??
"भारत रत्न" के काबिल तो कई हैं...
लेकिन "भारत का असली रत्न" बनके कौन दिखलायेगा??
"अटल" एक ही था, "अटल" एक ही रहेगा...
क्योंकि अब "अटल" देश का अमर सुपुत्र केहलाएगा...
-