arman khan   (Arman khan)
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दिल की कलम तेरे याद की स्याही...!
U'll know me soon
Joined 9 October 2018


दिल की कलम तेरे याद की स्याही...!
U'll know me soon
Joined 9 October 2018
25 JAN 2022 AT 9:56

नज़रे मिलते ही मुझसे अब नज़रें चुराने लगी हो,
क्यों ऐसे बेगानों सी तुम पेश आनी लगी हो,
ज़िन्दगी के हर मोड़ पे मेरा हाथ थामों गी...तुम्ही कहती थी ना,
तो क्यों अब मुझसे दामन छुड़ाने लगी हो...!!!

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2 JAN 2022 AT 13:54

अब जो तुम लौट के आओगी,
मुझे ढूँढते ढूँढते थक जाओगी,
वो जो मैं मुझमे था वो कहीं लापता हो गया है,
वो जो तुम थी वो तुम कहाँ से लाओगी...!!!

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30 DEC 2021 AT 0:43

दस्तूर ए इश्क़ है ये दस्तूर निभाना है,
जो मेरा हो नहीं सकता उसी के नाम ये ज़िन्दगी बिताना है,
और जिन्हें खोने के ख्याल से भी हम डरते थे कभी,
उस हक़ीक़त का बोझ उम्र भर उठाना है...!!!

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28 DEC 2021 AT 0:18

जिसके दिल तक पहुँच न पाई मेरे प्रेम निवेदन,
उस तक कैसे पहुँचाऊँ अपनी क्षमा याचना...!!!
ये मौन से भरे मन की कल्पनायें जीवन की सारी आकाक्षाएं,
उस तक नहीं पहुंच पाए मेरे भावार्थ तो व्यर्थ सारी जतन मेरे सारी यतनाएं...!!!

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26 DEC 2021 AT 12:43

अपना सबकुछ दाव पे लगा के भी,
वो बाज़ी मैं हार गया,
उसके समझ से परे था प्यार मेरा
उसको समझाने की सारी कोशिशें बेकार गया,
उसने तो बस किनारा कर लिया मुझसे,
मगर मुझे जीते जी वो मार गया...!!!

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24 DEC 2021 AT 14:12

इश्क़ में इश्क़ हर किसी को नहीं मिलता,
जिसे चाहो उसी से चाहत नहीं मिलता,
वो बेख़बर बेख़बर ही रही मेरे इश्क़ से,
के जो सकूँ उसके 𝐇𝐞𝐥𝐥𝐨 सुनने में थी,
वो किसी के 𝐈 𝐋𝐨𝐯𝐞 𝐘𝐨𝐮 सुनने से भी नहीं मिलता...!!!

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22 DEC 2021 AT 15:12

तेरे वस्ल की चाहत दिल से जाती नहीं,
और तेरे हिज़्र में ये उम्र बितानी है...!!!

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17 DEC 2021 AT 21:42

इससे बुरा इश्क़ का अंजाम और क्या होगा,
जिसके पास मैं हुँ वो ही मुझसे जुदा होगा,

उसकी यादों से रिहाई न जाने कब होगी,
न जाने कब वो मुझसे रिहा होगा,

इस रात की अब कोई सुबह नहीं,
ज़रा सोचों ये अंधेरा कैसा होगा,

जिसकी अब कुछ भी ख़बर नहीं है मुझे,
उसी के इंतेज़ार में ये ज़िन्दगी बसर होगा...!!!

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11 DEC 2021 AT 23:11

तेरी यादें रुलाती थी पहले,
अब दिल को जलाने लगी है,

एक तू है जो मुझसे निकलती नहीं है,
एक तू है के मुझको भुलाने लगी है..!!!

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1 DEC 2021 AT 22:30

उसने कहा क्या कर सकते हो मेरे लिए,
मैंने कहा चाँद ला सकता हूँ गगन से तोड़ के,
वो अड़ गई इस बात पे, मैं सोचा कैसे लाऊं चाँद गगन से तोड़ के,
फ़िर आईना ले आया बाजार से कहा देखो चाँद ले आया हुँ मैं गगन से तोड़ के...!!!

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