नज़रे मिलते ही मुझसे अब नज़रें चुराने लगी हो, क्यों ऐसे बेगानों सी तुम पेश आनी लगी हो, ज़िन्दगी के हर मोड़ पे मेरा हाथ थामों गी...तुम्ही कहती थी ना, तो क्यों अब मुझसे दामन छुड़ाने लगी हो...!!!
दस्तूर ए इश्क़ है ये दस्तूर निभाना है, जो मेरा हो नहीं सकता उसी के नाम ये ज़िन्दगी बिताना है, और जिन्हें खोने के ख्याल से भी हम डरते थे कभी, उस हक़ीक़त का बोझ उम्र भर उठाना है...!!!
जिसके दिल तक पहुँच न पाई मेरे प्रेम निवेदन, उस तक कैसे पहुँचाऊँ अपनी क्षमा याचना...!!! ये मौन से भरे मन की कल्पनायें जीवन की सारी आकाक्षाएं, उस तक नहीं पहुंच पाए मेरे भावार्थ तो व्यर्थ सारी जतन मेरे सारी यतनाएं...!!!
अपना सबकुछ दाव पे लगा के भी, वो बाज़ी मैं हार गया, उसके समझ से परे था प्यार मेरा उसको समझाने की सारी कोशिशें बेकार गया, उसने तो बस किनारा कर लिया मुझसे, मगर मुझे जीते जी वो मार गया...!!!
इश्क़ में इश्क़ हर किसी को नहीं मिलता, जिसे चाहो उसी से चाहत नहीं मिलता, वो बेख़बर बेख़बर ही रही मेरे इश्क़ से, के जो सकूँ उसके 𝐇𝐞𝐥𝐥𝐨 सुनने में थी, वो किसी के 𝐈 𝐋𝐨𝐯𝐞 𝐘𝐨𝐮 सुनने से भी नहीं मिलता...!!!
उसने कहा क्या कर सकते हो मेरे लिए, मैंने कहा चाँद ला सकता हूँ गगन से तोड़ के, वो अड़ गई इस बात पे, मैं सोचा कैसे लाऊं चाँद गगन से तोड़ के, फ़िर आईना ले आया बाजार से कहा देखो चाँद ले आया हुँ मैं गगन से तोड़ के...!!!