इस जलते मौसम में किसने कहा
मोहब्बत रुलाती हे
मैंने तो ग़रीबी देखी हे
कमबख़्त उम्र का भी
लिहाज़ नहीं इसको।-
जिस मुल्क में दो वक्त की
रोटी के लिए परदेश जाना पड़े
वहाँ आज़ादी के लिए स्टेटस लगाना
हमारे नस्ल की तौहीन हे।
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एक ऐसा क़र्ज़ हे जो में अदा कर ही नहीं सकता,
में जब तक घर ना लौटू
मेरी माँ सजदें में रहती हे।
@मुन्नवर राणा साब-
मदद करना सीखो
फायदे के बग़ैर।
मिलना जुलना सीखो
मतलब के बग़ैर।
तमीज़ से चलना सीखो
गुरूर के बग़ैर।
ज़िन्दगी जीना सीखो
दिखावे के बग़ैर।-
जहन्नुम के इंतज़ाम में उलझा रहे रात दिन,
और दावा कर रहा ही कि
जन्नत में जाएगा।-
सजदो से तेरे क्या मिला
सदियां गुज़र गई
जो दुनिया तेरी बदल दे
वो सज़दा तलाश कर-
एक मुद्दत हुई कि सोफ़े के नीचे हाथ ना गुमाया
अपने हाथों, रुखसारों को उसके खरोंच से भराया
वो एक मुस्की(🐈) ही थी जो इधर उधर घर करती थी
अब उसकी याद से ही ख़ुद को बस इतना ही बसा पाया।-
वो आशिक हूं मैं जो अगर प्यार का नारा मारूं....
तो ठोकरें खाती हुई कब्र से लैला निकले....!!-
हम ने अपने ख्वाबों पर फातिहा पढ़ दी,,
जा इश्क़ तुझे भी जहन्नम नसीब हो...!!-
झूठ से भरे सब अख़बार मिल गये,
मेरे मर्ज़ को हक़ीम बेकार मिल गये।
में निकला था थोड़ी सी मदद माँगने,
मदद ना मिली मशवरे हज़ार मिल गये।-