Armaan Bhati   (Armaan)
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Hard business type
Joined 6 April 2018


Hard business type
Joined 6 April 2018
27 APR AT 21:33

इस जलते मौसम में किसने कहा
मोहब्बत रुलाती हे
मैंने तो ग़रीबी देखी हे
कमबख़्त उम्र का भी
लिहाज़ नहीं इसको।

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13 APR AT 10:47

जिस मुल्क में दो वक्त की
रोटी के लिए परदेश जाना पड़े
वहाँ आज़ादी के लिए स्टेटस लगाना
हमारे नस्ल की तौहीन हे।

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30 MAR AT 12:28

एक ऐसा क़र्ज़ हे जो में अदा कर ही नहीं सकता,

में जब तक घर ना लौटू
मेरी माँ सजदें में रहती हे।

@मुन्नवर राणा साब

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28 MAR AT 18:27

मदद करना सीखो
फायदे के बग़ैर।

मिलना जुलना सीखो
मतलब के बग़ैर।

तमीज़ से चलना सीखो
गुरूर के बग़ैर।

ज़िन्दगी जीना सीखो
दिखावे के बग़ैर।

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23 MAR AT 10:56

जहन्नुम के इंतज़ाम में उलझा रहे रात दिन,
और दावा कर रहा ही कि
जन्नत में जाएगा।

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10 MAR AT 15:14

सजदो से तेरे क्या मिला
सदियां गुज़र गई

जो दुनिया तेरी बदल दे

वो सज़दा तलाश कर

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20 FEB AT 21:53

एक मुद्दत हुई कि सोफ़े के नीचे हाथ ना गुमाया
अपने हाथों, रुखसारों को उसके खरोंच से भराया
वो एक मुस्की(🐈) ही थी जो इधर उधर घर करती थी
अब उसकी याद से ही ख़ुद को बस इतना ही बसा पाया।

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7 FEB AT 21:16

वो आशिक हूं मैं जो अगर प्यार का नारा मारूं....

तो ठोकरें खाती हुई कब्र से लैला निकले....!!

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7 FEB AT 19:00

हम ने अपने ख्वाबों पर फातिहा पढ़ दी,,
जा इश्क़ तुझे भी जहन्नम नसीब हो...!!

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29 JAN AT 0:10

झूठ से भरे सब अख़बार मिल गये,
मेरे मर्ज़ को हक़ीम बेकार मिल गये।

में निकला था थोड़ी सी मदद माँगने,
मदद ना मिली मशवरे हज़ार मिल गये।

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