Arma a   (ARMA)
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Joined 16 October 2019


Joined 16 October 2019
25 MAY 2020 AT 19:19

जिन्हें अहमियत का अपनी इल्म नहीं होता,
अपने में वो अक्सर दूसरों का अक्स ढूंढ़ते हैं!

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24 MAY 2020 AT 16:16

ढूंढते हैं कुछ लोग, मेरे अल्फ़ाज़ो में उसको!
ख़ुद ख्वाहिशमंद हूं मै ... पढ़ने की जिसको।

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27 APR 2020 AT 11:11

सच को अक्सर मायूसी के बाद उम्मीदों के पर लगे,
झूठ गुरुर में लड़खड़ाया और फिर नाकाम हो गया।

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14 APR 2020 AT 17:17

दुनिया के हर आशिक़ की तरह, उसने भी दस्तूर निभाया!
हो ना सका जो इश्क़ मुकम्मल, बेवफ़ा महबूब बताया।

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31 MAR 2020 AT 22:22

चीखे हैं अल्फ़ाज़ आज इस अंदाज़ में..!
जैसे इन्हें खामोशियों ने सताया बहुत है।

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20 FEB 2020 AT 14:14

जिंदगी में थोड़ी तब्दीली करते हैं,
गर जो रही हयात.....🤗🤗
तो...इंशा अल्लाह फिर मिलते हैं।

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19 FEB 2020 AT 12:12

क्यों किसी शख्स के जाने से दुनिया यूं वीरान सी हो जाती है,
कि उस राह से आने वाले....
हर शख्स में निगाहें, बस.. उसी शख्स की झलक ढूंढती है!

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18 FEB 2020 AT 15:15

हमसे जुदा क्यों रहते हो,
गम है कोई तो बांट लो उसको
ठीक है सब कुछ क्यों कहते हो!

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17 FEB 2020 AT 20:20

समंदर से पानी बाहर नहीं जाता, फिर भी लगे बहता रहता है,
कितना भी बहला लो दिल को, फिर भी "ज़ख्म हरा रहता है"

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16 FEB 2020 AT 21:21

दिल से बने रिश्ते भी तब टूट जाते हैं .............. अक्सर
जब
सही या ग़लत से ज्यादा तरज़ीह ज़िद को दी जाती है

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