तुम्हारी याद में फिर से लगा बैठे पेन ड्राइव फ़ोन में
फिर क्या सारी यादें उतार बैठे दिल में-
क्या बताऊं दिल।की बात बिना बात किए दिल ही नही लागत मेरी जान
बस ऐसे ही बैठ जाता हूं गुमशुम गुमशुम जैसे बच्चो के हाथ से खिलौना छीन गया-
उससे नाराज़ होने का भी मेरा अलग अंदाज़ है
उसकी खरीदी शर्ट पहन कर सब को बताना यही तो खास बात है-
अक्सर जख्म वही लोग देकर जाते है ,
जो शुरुआत में बड़े प्यार से पेश आते है ! . !-
ऐसा नहीं कि अब तुम्हारी याद नहीं आती ,
बस थोड़ा दिल को हमने समझा रखा है ।-
भर जाएंगे ज़ख़्म भी मेरे ...
तुम ज़माने से ज़िक्र मत करना मैं ठीक हूँ ...
तुम दोबारा कभी मेरी फ़िक्र मत करना ...-
सुन लेने से कितने सारे सवाल सुलझ जाते हैं ,
सुना देने से हम फिर से वहीं उलझ जाते हैं ....-
तेरी यादों की गूफ्तगू जब ता ना हो
मेरी दिल में ये नीदो का ना आने का सिलसिला यू ही है-
मै कैसे समझाऊँ तुम्हे अपनी चाहत का इशारा
अब धड़कने भी तुम्हारी हो गयी और दिल भी तुम्हारा-
उनका किया हर एक वादा टूटने लगा है
जिंदगी से सांसों का नाता टूटने लगा है-