Arjun R Patidar  
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मैं असमंजस "अर्जुन" सा,
"कृष्ण" सा समाधान हो तुम..!
Joined 6 June 2020


मैं असमंजस "अर्जुन" सा,
"कृष्ण" सा समाधान हो तुम..!
Joined 6 June 2020
3 JUN 2021 AT 11:29

ओर भी हैं मसअले नौ दस मुझे,
आपका ही ग़म नहीं है बस मुझे..!

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2 JUN 2021 AT 10:58

ना किसी से ज्यादा,
ना किसी से कम है,
बस हम हम है..!

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30 MAY 2021 AT 19:47

रोज़ मिलने का कोई बहाना तो दे,मैं मिलने रोज़ आ जाऊंगा,
समंदर से घिरी रहना तुम,मैं समा सुहाना लाऊंगा..


तितलियां,गुलशन,परिंदे,आसमां, दरख्त और दरिया,
तू बता तुझे क्या पसंद है,मैं वही बन जाऊंगा..!

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30 MAY 2021 AT 10:55

उसकी बातों का कुछ असर यूँ हुआ हमपे..
अब क्या बताएँ सुबहों को भी जल्दी उठनें लगे हैं हम..!

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28 MAY 2021 AT 16:10

ना जाने वो कितनों को परेशान करते जाएंगे,
एक रकी़ब ठीक था अब मेरी गली में रोज़ नए रकीब आएंगे..

उसे पहचान लेते है लोग फकत उसका साया देखकर,
उसे चाहने वालों के सपनों में वो रोज़ आएंगे..

ज़माने भर का ज़हर है उसकी मीठी ज़ुबान में,
सुनने वाले मरीज़ तो समझने वाले चारासाज़ हो जाएंगे..

क्या है उसकी आंखों में कौनसा वजीफा पढ़ते है,
कि देखने वाले उसे पागलों जैसे देखते होंगे..!

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27 MAY 2021 AT 10:26

कितने मतलबी हैं हम,कि अपना ही घर देखते हैं,
गर जलता है घर किसी का,तो अपने हाथ सेकते हैं !

कितने छलों प्रपंचों से भरे हैं इस दुनिया के लोग,
खून के रिश्तों में भी,परायों सा अक्स देखते हैं !

हम हैं कि क्या-क्या सोचते हैं गलत ओरों के फेर में,
अफसोस कि खुद को भी,ओरो की नज़र से देखते हैं !

गीता का ज्ञान भी उल्टा हो गया है आजकल दोस्तो,
लोगों के शरीर ज़िंदा हैं मगर,आत्मा मरी देखते हैं!

मिट गए न जाने कितने ख़ुदा की तलाश में,
मगर अब तो हर तरफ हम,ख़ुदा ही ख़ुदा देखतेहैं !

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27 MAY 2021 AT 10:13

कैसे इबादत करुं कि फिर तुम्हें अपना बना लूं,
किस पंडित जी से तुम्हारे नाम की मैं पूजा करा लूं,
कौन से मन्दिर में करूं मन्नत मैं,
कहां की मिट्टी को जाके माथे लगा लूं,
सजदा करूं किसी रोज़ मस्जिद में मैं,
बता दो तुम्हीं....
मां-पापा या तुम्हारी किस वाली बहन को जाकर मना लूं,
फिर जब किसी रोज़ शरारत कर रहा हो वो आंगने में तुम किचन से कहो,
अजी सुनो न...
आप बच्चे को सम्भालो मैं सब्जी बना लूं..!

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22 MAY 2021 AT 19:02

अच्छा है किसी और दर्शन से जुड़ी है,
दुनिया की माँग वैसे भी घाटे से जुड़ी है..

बाहर कोई तमाशा है गली में,
हर आंख जो खिड़की के संकेत से जुड़ी है..

मैं इसलिए दुनिया पर भरोसा नहीं करता,
मिट्टी की यह दीवार गारे से जुड़ी है..

यह नावों वाले तो योही भयभीत हैं,
नदी तो हर मौज किनारे से जुड़ी है..

हर दिन किसी सूरज के पीछे में है "अर्जुन"
हर रात किसी सितारे से जुड़ी है..!

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22 MAY 2021 AT 16:42

जब कभी तेरा दिल घबराए तो लौट आना,
अगर मेरी याद आए तो लौट आना..

समय बहुत अच्छा बीता है तेरे साथ,
वह समय याद आए तो लौट आना..

इक पल में दोस्त बन गए थे हम,
कभी वह पल याद आए तो लौट आना..

आप से दूर रहना नहीं चाहते हम,
किस्मत अगर साथ ना दे तो लौट आना..

लोग अक्सर दिल वालों का साथ नहीं देते,
कोई अगर साथ ना दे तो लौट आना..

तुम्हारे बिन न गुजर सकेंगे दिन,
यह संदेश पहुंच जाए तो लौट आना..!

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18 MAY 2021 AT 16:58

अब तुम से बात नहीं हो पाती,
ख्वाबों में भी मुलाकात नहीं हो पाती।

मन तो चाहता है तुमसे रूठ जाए,
मजबूरी है कि नाराज नहीं हो पाती।

जिससे खुश हो सभी का दिल यारा,
कसम से मुझसे वो काम नहीं हो पाती।

पता नहीं कैसे लोग खेल लेते हैं तेरी जुल्फों से,
हम थे कि हमारी उंगलियां भी तुझे छू नहीं पाती।

एक तो तुम मुस्कुराता चेहरा आंखें भी नम नहीं रहती
सच कहूं अंदर से धड़कन तेरे बिना रह नहीं पाती।

बहुत कुछ तुझको समझाना है जो तू समझती नहीं है,
तेरे सामने आते ही लब कुछ कह नहीं पाती।

दूर रहना ही "अर्जुन" का किस्मत है लाला,
कोई शय मेरा साथ दे भी नहीं पाती।

फूलों की तरह महके थे तुम मेरी जिंदगी में,
अब ज़िंदगी भी वो महक नही दे पाती।

तुमने बदल दिया इस कदर मुझे,
कि कोई भी बदलाव मुझ ने नजर नही आती।

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