Arjun Mishra   (Ravan)
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I am son of God
Joined 6 January 2019


I am son of God
Joined 6 January 2019
25 APR AT 22:48

ख्याल!

मैं खाली हूं इसलिए अपना मन लिख रहा हूं।
उजाले में बैठा अंधेरा लिख रहा हूं।
मालिक मैं अपने मन का अपनी कामयाबी लिख रहा हूं।
इस-इस की वजह से हूं नाकामयाब दूसरों से अपनी कहानी लिख रहा हूं।
अपने मन से तो मैं आज, अब और यह वक्त लिख रहा हूं।
वैसे तो हूं जवान पर मैं अपना बचपन और बुढ़ापा लिख रहा हूं।

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27 MAR AT 22:44

पल‌-पल

एक पल वो देखे मुझे, मेरा तो समय सा थम जाता है।
वो बस एक पल, मेरे लिए तो अरसा गुजर जाता है।
उस पल की तस्वीर मेरी नजरों में, हर पल वो पल नजर आता है।
वो एक पल हो जाए हर पल मेरा, पल‌-पल मेरा वो पल चाहता है।

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18 JAN AT 1:51

हमारी अधूरी कहानी

हम एक दूसरे को देखकर अनदेखा करते हैं।
चोरी छुपे आंखों से बातें करते हैं।
बिना किसी वादे के हर रोज वही मिलते हैं।
सामने आते ही एक दूसरे के, हम मुड़ जाते हैं।
फ़ासला कुछ कदमों का, पर शब्दों से हम मीलों दूर रहते हैं।
एक सवाल, दो मन में। क्या इसे ही मोहब्बत कहते हैं?

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4 JAN AT 22:28

समाज

यह दुनिया मुझे सिखा कर, मेरा दिखावा देख रही है।
यह दुनिया मेरी सूरत से, मेरी सीरत परख रही है।
यह दुनिया मुझ में कांटे बोकर, मुझे से फूलों की उम्मीद कर रही।
ए दुनिया देख, मैं आइना हूं तेरा, तु मुझ में दिख रही है।

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24 OCT 2023 AT 23:47

मन की बात!

मैं वो नहीं जिसे तुम जला रहे हो।
मैं वो हूं जिससे तुम मुझे जला रहे हो।
मेरी हजार बुराइयां अपना रहे हो!
शायद मेरी अच्छाइयां भी अपना रहे हो?
गुण देखे, गुरु दान नाम, रावण हो।
आज नाम से हो गुण गुरु बिना, पैदा चतुर्वेदी हो।

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22 SEP 2023 AT 0:03

अधूरा प्यार!

अच्छा हुआ तू समझ गई, मेरी बेवफाई, हां मैंने समय से ज्यादा वफा निभाई थी।
गिला इस बात का नहीं कि तू समझ गई, पर सलाह तूने मुझसे नहीं किसी और से पाई थी।

एक तरफा मोहब्बत में करता रहूंगा। तुझे ना कह पाया, पर इसे मैं अपना कहूंगा।

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16 SEP 2023 AT 0:09

पुराना वक्त

पुराना वक्त ले गया हँसी-ठिठोली, यादें छोड़ कर।
यादें हैं इसीलिए सपने हैं क्योंकि वक्त ले गया जीना, सांसे छोड़ कर।

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11 SEP 2023 AT 10:33

यार थोड़ा तो हँस लो!

जिंदगी की गुलामी करनी है जिंदगी भर, आज थोड़ी गुस्ताखी कर लो!
यार थोड़ा सा तो हँस लो।
मौत मांगेगी बस कर्मों के हिसाब, आज हिसाब में थोड़ी हेराफेरी कर लो !
यार थोड़ा सा तो हँस लो।

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23 AUG 2023 AT 23:20

कुछ-कुछ❤️

कुछ तुम कहो - कुछ मैं कहूं , यही तो लम्हे हैं प्यारे से।
कुछ तुम हंसो - कुछ मैं हंसू, यह कह कर, हम पागल हैं दीवाने से।
कुछ तुम बुनो - कुछ मैं बुनू, यह राग अफसानो के, इस जमाने में उस जमाने से।
कुछ तुम रुको - कुछ मैं रुकूं, यह जी लो मोहब्बत पहले, वक्त खत्म हो जाने से।

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9 JUN 2023 AT 22:53

सच्चा मैं झूठी दुनिया।

मैं मेरी अदालत, अपने कर्मों को नहीं लोगों को मैं दोषी रखता हूं।
मैं अपने अंधेरों को रोशनी में रखता हूं, बस उन्हें रोशन नहीं करता हूं।
देख कर रात में तारों को आसमान में, सूरज को मैं ढूंढता हूं।
फिर भी सजा मुझको क्यों हर बार सजा मुझको क्यों, यह सवाल मैं खुद से करता हूं?

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