फ़िर उसी राहगुज़र पर शायद ।हम कभी मिल सकें, मगर शायद ।। -
फ़िर उसी राहगुज़र पर शायद ।हम कभी मिल सकें, मगर शायद ।।
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सामने उसकी गली का मोड़ था.. मैं बस ख़ुद को,ख़ुद से बिछड़ते देख रहा था.. -
सामने उसकी गली का मोड़ था.. मैं बस ख़ुद को,ख़ुद से बिछड़ते देख रहा था..
सामने वो अपनी गाड़ी पर थी. मैं बस ख़ुद को, ख़ुद से बिछड़ते देख रहा था..l -
सामने वो अपनी गाड़ी पर थी. मैं बस ख़ुद को, ख़ुद से बिछड़ते देख रहा था..l
फिर वही बात वही शाम वही तन्हाई है..गुज़रे उस मोड़ से फिर तेरी याद आई है..! -
फिर वही बात वही शाम वही तन्हाई है..गुज़रे उस मोड़ से फिर तेरी याद आई है..!
मैं ख़ुद नहीं हूं और कोई है मेरे अंदरजो तुम को तरसता है, अब भी आ जाओ जॉन एलिया..l -
मैं ख़ुद नहीं हूं और कोई है मेरे अंदरजो तुम को तरसता है, अब भी आ जाओ जॉन एलिया..l
कुछ लोगों में सुधार की रत्ती भर कि भी गुंज़ाइश नही ! उनका बस एक ही काम है स्टेटस देखो और रिएक्ट करो, जैसे देखा ही नही!. -
कुछ लोगों में सुधार की रत्ती भर कि भी गुंज़ाइश नही ! उनका बस एक ही काम है स्टेटस देखो और रिएक्ट करो, जैसे देखा ही नही!.
ख़ुद को बदल करमुझें पहले जैसे देखना चाहते हो..सीधे कहने में लिहाज़ कैसा समझता हूँ, पीछा छुड़ाना चाहते हो..! -
ख़ुद को बदल करमुझें पहले जैसे देखना चाहते हो..सीधे कहने में लिहाज़ कैसा समझता हूँ, पीछा छुड़ाना चाहते हो..!
तुम बिल्कुल लखनऊ जैसे लगते थेतुममें ही बस जाने का दिल करता था..पर तुम बिल्कुल दिल्ली जैसी निकलीदिललगी करके चल गयी..! -
तुम बिल्कुल लखनऊ जैसे लगते थेतुममें ही बस जाने का दिल करता था..पर तुम बिल्कुल दिल्ली जैसी निकलीदिललगी करके चल गयी..!
फीकी सी ज़िन्दगी कि तू मिठास थी..फीकी सी है तू अब.. ऐ ज़िन्दगी..!! -
फीकी सी ज़िन्दगी कि तू मिठास थी..फीकी सी है तू अब.. ऐ ज़िन्दगी..!!