मैं ही नहीं, अब वो भी मुझे मनाने लगी है।
पहले तो था बस गुस्सा ही,अब जरा प्यार जताने लगी है।
डूबी है ईश्क में मेरे वो मुझसी ही,
तभी तो जान मेरी मुझे आजमाने लगी है।।-
लगा था मुझे की दिल में हू मै उसके,
मगर वो किसी और को ही दिल बसाती रही।
मेरे सुनाए चुटकुलों से वो
किसी और को ही हंसाती रही।
मगर खेलना छोड़ा नहीं मेरे साथ भी उसने,
थोड़ा सा प्यार मुझपे भी जताती रही।।-
Love , friendship and happiness are also there but we see only what we want.
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देगी हक़ जो ज़रा सा मैं जता भी लूंगा।
राज़ दिल के सारे तुझे बता मैं दूंगा।
और करती है बात बस जताने की ईश्क तू,
जरा हां तो कर तुझे अपना बना मैं लूंगा।।-
ये ईश्क है सनम ले डूबेगा तुझे,
और तू ही नहीं है जागी फिक्र में मेरी
बिना सुने तुझे नींद आती नहीं मुझे,
आने के इंतज़ार में मेरे यू जागा न कर,
छोड़ चिंता,तू नींद से भागा न कर,
हूं तेरा ही लौट कर अवश्य आऊंगा।
तेरी बाहों के सिवाय कोई जगह नहीं,
जहां चैन की नींद मैं सो पाऊंगा।
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भटकता है दिल दरबदर,चाहत में दिलबर की,
तराशा है खुदा ने ज्यों मूरत हो संगमरमर सी,
लगाया दिल से उसे और इशारों में इज़हार भी किया,
फिर भी वो मोहोब्बत से मेरी बेखबर थी।-
नैनों ने उसके जीना दुस्वार कर दिया,
डाली इक नज़र हमपे और दिल को हमारे बेकरार कर दिया,
और थे हम भी अनाड़ी बड़े समझ न सके इतना
नैनों से ही उनने चुपके से इज़हार कर दिया।-
तकदीर में हो न हो ,मोहोब्बत तू ही रहेगी।
लकीरों में हो न हो ,दिल में तू ही रहेगी।
और जिस दिन हुआ मुमकिन मेरे प्यार का बदल जाना ,
मेरी जान मेरी मौत का गम तू कैसे सहेगी।।-
हो मुकम्मल ईश्क मेरा
ये एक आशिक की फरियाद है
रुकती हिचियां उसकी नहीं
कर रहा उसे जो उसे कोई याद है
और अक्सर कहते है लोग
बरबाद कर देगा ईश्क जिंदगी को
मगर जहन में होने से उसके
मेरा दिल दिमाग मन सबकुछ आबाद है-