जिनके ख़ून से इस्लाम जिंदा हुआ
जिसकी गर्मी से ईमान जिंदा हुआ
जो अपने नाना का वादा वफा कर गया
घर का घर करबला में फिदा कर गया
दुश्मन के काफले से कुछ ने कहा
कैसा सर है जो कट के भी ऊंचा रहा
मैं इफ्तेखारी हूं रब का एहसान है
ब खुदा हक़ पे हूं मेरी ये पहचान है
जो इफ्तेखारी है वल्लाह हुसैनी है
ये दिल भी हुसैनी है जां भी हुसैनी है
आला हज़रत ने क्या ख़ूब फरमा दिया
अज़मते करबला हमको समझा दिया
उनके इसमें गेरामी से दिल को है चैन
करबला की ज़मी और इमामे हुसैन
करबला तेरी क़िस्मत पे लाखों सलाम
करबला तेरी क़िस्मत पे लाखों सलाम
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