धैर्य रख और आगे बढ़ता जा
अपनी हस्ती को तू गढ़ता जा
दुखों के पहाड़ भी मिलेंगे आगे
अपने हौसलों से तू चढ़ता जा
सब कुछ लिखा है इन चेहरों पर
सच और झूठ सब तू पढ़ता जा
ईश्वर तो तेरे अंदर ही है "आरिफ़"
उसका गुणगान भी तू करता जा
"कोरा काग़ज़" मिला है लिखने को
कलम से सच्चाई के लिए लड़ता जा- आरिफ़ अल्वी
18 DEC 2019 AT 9:19