ARCHNA kumari kutariyar   (Archna Kumari kutariyar)
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Writing is a key to solve your conflicts and frustration express your experience.
Joined 3 February 2021


Writing is a key to solve your conflicts and frustration express your experience.
Joined 3 February 2021
21 AUG 2022 AT 23:34

बदल जाती है।

जिंदगी बदल जाते है, तरीके भी बदल जाती हैं।
रिश्ते बदल जाते हैं, रिश्तेदारी भी बदल जाती है।
वक्त बदल जाते है, दिन भी बदल जाती है।
ख्वाब बदल जाते हैं, ख्वाहिशें भी बदल जाती हैं।
बदलता अगर कोई न तो वह तेरी रोशनी और शीतलता की छाव है।
नाम बदल जाते हैं , पहचान भी बदल जाती है।
यार बदल जाते हैं , यारी भी बदल जाती है।
प्यार बदल जाते हैं, साथ भी बदल जाती है।
नाम बदल जाते हैं पहचान भी बदल जाती है।
बदलता अगर कोई न तो वह अंबर और गगन के चांद हैं।
शौक बदल जाते हैं , शौकीनता भी बदल जाती है।
होश बदल जाते हैं , जोश भी बदल जाती हैं।
कल बदल जाते हैं, पल भी बदल जाती हैं।
तन बदल जाते है, मन भी बदल जाती है।
बदलता अगर कोई न तो वह तेरी रोशनी और शीतलता की छांव है।
परंपराएं बदल जाते है, मान्यताएं भी बदल जाती है।
सोच बदल जाते हैं, चिंतन भी बदल जाती हैं।
राहे बदल जाते है, मुसाफिर भी बदल जाती हैं।
खुशियां बदल जाती है, गम भी बदल जाते हैं।
बदलता अगर कोई ना तो वह आकाश में प्रज्वलित सूर्य की ताप है।







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24 JUL 2022 AT 0:06

Part 2

पाना है अगर हमें निर्वाण
अद्वैतवाद बनाता है हमें मोनिस्ट
आईडियोलॉजी है वहीं इसकी जो बनाती हमें अविद्या से विद्या की टूरिस्ट।
बतलाता है यह हमे चेतना के चार पार्ट
होती है जिसमें तुकछता से उच्चता की चार्ट।
लोएस्ट होती है जागृत अवस्था
होती जिसमें मटेरियल गेन की चेष्ठा।
है यह हमारी सामान्य चेतना जिसमें होती दिन-प्रतिदिन की वेदना।
होती है यह अबिद्या
आत्मन का होता इसमें ना हमें पता ।
होती है ना हमें खुद की ज्ञान
पाना होता है इसमें हमें बस धन दौलत का वरदान।
सेकंड स्टेज है स्वप्नवस्था, जिसमें चेतना होती है हमारी बचकाना।
गलती पर इसमें होता पछताना फिर भी गलती पर गलती दुहराए जाना।
पाना है हमें इसमें खजाना पर यह भी सोचना हमें इन सबसे ऊपर है खुद को उठाना।
प्रजनवस्था हैं हमारी सुपर कंसियस
लुप्त हो जाते हैं इसमें हमारे सारे कस्मोकस।
ना होती है इसमें कोई गिल्ट
होती है हमारी चेतना ज्ञान की ओर फिक्स।
केंद्र होती है इसकी स्पिरिचुअलिटी , ज्ञान ना होता इसमें आत्मन की क्वालिटी।
पाना होता है जब हमें अपने आत्मन का ज्ञान
आ जाते है हमारे चेतना के लास्ट स्टेज में प्राण।
कहते हैं इसे तुरिया अवस्था ,होती है जिसमें समाधि की व्यवस्था।
पाना है अगर हमें निर्वाण अद्वैत फिलासफी देता है हमें तुरिया अवस्था का वरदान।
होते हैं यह हमारे हाईएस्ट स्टेट ऑफ कंसियसनेस जिसमें होती है हमारी ट्रांसेंडेंस।


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23 JUL 2022 AT 23:47

इन हिंदुइज्म कैसे पाएं हम निर्वाण

पाना है अगर हमें निर्वाण
करना होगा हिन्दू फिलासफी के संख्या और अद्वैतवाद को प्रणाम।
संख्या बताएगा द्वैतवाद जिसमें होगे प्राकृति और पुरुष।
अद्वैत कहता है सब कुछ है एक समान
ब्राह्मण ही है बस एक हमारे चारों धाम।
योग और ध्यान है रास्ता पाने का निर्वाण
पाना है अगर हमें निर्वाण भगवत गीता में हमें पाना होगा तीन रास्ते का वरदान।
कर्म मार्ग जो सिखलता हमें ड्यूटी निभाना , बदले में कुछ पाने के ना आश यही है इसके बात ये खास ।
ज्ञान मार्ग है पाथ ऑफ नॉलेज जो सिखलाता हमें अंडरस्टैंडिंग ऑफ आवर नॉलेज।
जन्म लेते ही होते हैं हम जीव अपने आत्मन की भी होती न हमें कोई नीव।
पाना है अगर हमें अपने ट्रू नेचर का गोचर बनना होगा योग और मेडिटेशन का प्रैक्टिशनर।
अंतिम मार्ग होती है भक्ति मार्ग जो हमें पढ़ाती डिवोशन का पाठ।
पाना है अगर हमें निर्वाण
चलना होगा एक ही पथ पे और न कोई रथ पे ।

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18 JUL 2022 AT 22:47

किसने कहा कि हम हैं नादान
हमारी नादानी कहां खो गई इसकी हमें भी ना है पहचान।
नन्हे से कदम थे जब अपने नन्हीं सी थी उसकी छाप ।।
ज्ञान ना था अपनी नादानी का नादान थे हमारे हर एक काम।
कितनी प्यारी हंसी कितनी प्यारी मुस्कुराहट
इसकी भी ना थी हमें पहचान।
प्यार ही प्यार और अनुराग से भरे थे हमारे नस-नस में जान।
किसने कहा कि हम है नादान
हमारी नादानी कहां खो गई इसकी हमें भी ना है पहचान।
कोमलता फूलों सी थी रग रग में ।।
मधुरता थी हर एक लफ्ज़ में।
ना दुनिया की थी पड़ी।।
ना कोई बातें गड़ी।
किसने कहा कि हम है नादान
हमारी नादानी कहां खो गई इसकी हमें भी ना है पहचान।
प्राथमिक सुख पाकर मस्त होते थे अपने मिजाज।।
ना थी कुछ पाने की चाह
ना होते थे कुछ खोने के परवाह।
किसने कहा कि हम हैं नादान
हमारी नादानी कहां खो गई इसकी हमें भी ना है पहचान ।



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16 JUL 2022 AT 23:04

तेरे फैसले तुझे खुद ना लेने देगी यह दुनिया

तू हंसना चाहे पर तुझे हंसने ना देगी यह दुनिया
अगर तू रोना चाहे पर तुझे रोने भी ना देगी यह दुनिया ।
तेरे फैसले तुझे खुद ना लेने देगी यह दुनिया ।
तू पढ़ना चाहे पर तुझे पढ़ने ना देगी यह दुनिया
अगर तू बढ़ना चाहे पर तुझे बढ़ने भी ना देगी यह दुनिया ।
तू करना चाहे पर तुझे करने ना देगी यह दुनिया
अगर तू गढ़ना चाहे पर तुझे गढ़ने ने भी ना देगी यह दुनिया।
तेरे फैसले तुझे खुद ना लेने देगी यह दुनिया।
तू हौसले बनाते रह खुद की बुलंदियां जागते रह
पर तेरी हौसले और बुलंदियों को रौंदते रहेगी यह दुनिया।
तू आत्म प्रेरणा जुटाते रह खुद की हिम्मत बढ़ाते रह
कदम कदम पर सब तोड़ने के लिए खड़ी रहेगी
यह दुनिया।
तेरे फैसले तुझे खुद ना लेने देगी यह दुनिया।
तू फूलों की सेज बनाते रह भवरो सी गीत गाते रह
पर तेरे लिए कफन बिछाई रखेगी यह दुनिया।
तू रिश्ते और नाते निभाते रह अपनेपन का चादर बिछाते रह
पर इसी चादर से तेरी गले घोटते रहेगी यह दुनिया।
तेरे फैसले तुझे खुद ना लेने देगी यह दुनिया।



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15 JUN 2022 AT 15:32

After starvation when you get even a small amount of food , it tastes soooo yummy and you get a lot of satisfaction, in comparison to when u get your food easily and without much of hunger. just like that when you get your goal after a lot of efforts then the satisfaction u get is precious.

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1 MAY 2022 AT 23:05

कैसा संसार हुआ जाता है,
जीना दुश्वार हुआ जाता है।
नफ़रत का आग फैलाया जाता है,
कुदरत की गोद में जहर ही जहर नजर आता है।
प्यार का गुल धूल बनते जाता है,
फूलों का बगिया टूटता नजर आता है।
बगिए को तोड़ तोड़ ये फूल अपनी बगिया चाहता है,
सान से जिसके लिए वो चिल्लाता है।
छोटी सी इस चाह में कितना कुछ उसका अपना खो जाता है ,
चाह की राह में उसे कुछ भी नजर न आता है ।
कैसा संसार हुआ जाता है ,
जीना दुश्वार हुआ जाता है ।
कलियों के जड़ों में आग भरा जाता है,
फूल बनकर जो जहर बन जाता है।
कैसा संसार हुआ जाता है,
जीना दुश्वार हुआ जाता है ।
सभी फूल जहां मिलकर पर्व मनाया करते थे ,
लड़ लड़ कर अब वह अपनो में गर्व मनाया करते है।
खुदा की याद और संख़नाद जहां सुनाई देती थी,
लड़ाई और नफ़रत की बस प्रहार सुनाई देती है ।
कैसा संसार हुआ जाता है
जीना दुश्वार हुआ जाता है ।








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8 MAR 2022 AT 17:54

Success

Success is like a onion .
The more layers u peel the more pain u feel
And finally when u get to the inner layer, the most pleasure and satisfaction u get .

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3 MAR 2022 AT 22:59

It is okay to take a break

It is okay to take a break after you fail .
It is okay to cry as much as u want ,
It catharises yourself .
It is okay to blame others and situations as much as u can ,
It resolves your mental conflicts .
It is okay to be sad as much as u want ,
It leads you to the way of happiness.
It is okay to feel pain as much as u feel,
It gives you a new energy .
It is okay to be frustrated as much as u want ,
It moves you to a new hope .
It is okay to blame luck as much as u can ,
It saves you to become mentally ill.
It is okay to irritate on yourself as much as u feel ,
It gives you a new motivation to move .
It is okay to take a break after u fail .

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19 FEB 2022 AT 22:28

बढ़े चल बढ़े चल

पर्वत पर चढ़ने को अगर तूने सोच लिया
तो रास्ते होगे कठिन, ये मत सोचना ।
बढ़े चल बढ़े चल
बढ़े चल बढ़े चल
थक जायोगे जरूर , लगेगी राह बड़ी दूर
वक्त ऐसे भी आएंगे जब लगेगी छोड़ दू मंजिल
पाने की सफर आधी अधूर ।
निराश होंगे मन ,हताश होंगे तेरे जिस्म के कण कण।
तनाव और संघर्ष की बू ही बू नजर आएंगे।
थकान होगे मन में सारे शरीर चूर ही चूर नजर आएंगे।
वक्त ऐसे भी आएंगे जब तुम आधी मंजिल पार कर जाओगे, पर फिर भी थक हार कर बैठ जाओगे ।
दिल कहेगा निकाल दो मंजिल पाने की आस।
यह तुम्हारी है न बस की बात ।
लौट जाओ वहीं जहां से आए थे तुम
पर ये भी मत भूलना , यह सोचना भी तुम्हें कर देगा गुमसुम।
जितना चलकर पाया ये आधे रास्ते का तुमने मुकाम
उतना ही फिर से चलना होगा वापस जाने को सही सलाम।
दिल कहेगा यह भी मुड़ने के बदले क्यों ना पार कर जाऊं बचे रास्ते को हिम्मत के साथ, जब होगे तुम्हारे साथ तुम्हारे अपने और चाहने वालों का हाथ।
बढ़े चल बढ़े चल
बढ़े चल बढ़े चल
मत छोड़ना मंजिल पाने का प्रयास
होगे तेरे तन मन में एक ज्वाला सी आग
जिस दिन पर्वत की चोटी पे होगे तेरे इन कदमों की दाग ।
वो कठोर पर्वत भी लगेगी सुनहरी ,चारों तरफ होगी बद्री ही बद्री।
खुश कर पाओगे उन लोगों को भी जिन्होंने थामा था बुरे वक्त में तेरा हाथ।
चमक होगे तेरे आंखों में जब तुम पाओगे खुद को सफलता के साथ।



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