Archita Yadav   (अर्चिता)
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Stardust.
Joined 28 April 2019


Stardust.
Joined 28 April 2019
24 MAR AT 13:07

इतने सारे बिखरे पत्ते है
और बिखरा है एक अकेला मन

पत्तों से खेलती गिलहरी है
सब से खेलता है एक अकेला मन

धूप धूल हवा सब सहते पत्ते
समय की मार सहता है एक अकेला मन

पैरों से कुचले जाते पत्ते
ख्वाहिश तले रौंदा जाता है एक अकेला मन

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23 MAR AT 23:09

अंधेरे में झांकते फूल..

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13 MAR AT 11:15

अब की जब तुम सामने हो
आलिंगनबद्ध, मैं मूक हूँ
अवाक, लफ्ज़ टटोलने की
फुरसत नहीं, न हिम्मत की
तुम्हारी आँखों की तलाशी
लूँ,

मेरी देह तुम्हारी देह से एक
संवाद कायम करने की कोशिश में है

और हमारा अस्तित्व एक दूसरे के
रंग में रंगने की।

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11 MAR AT 14:38

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6 MAR AT 19:43

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22 FEB AT 14:20

आज अपनी हंसी से कुछ लिख दूं
कह दूं कि इसकी राह देखी है
इसका इंतज़ार किया है
सड़कों, बसों से भरे शहर में
गली गली इसकी तलाश की है
और आज ये मिली है
किसी बच्चे की हंसी में
धूल सी लिपटी हुई।

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18 FEB AT 21:12

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17 FEB AT 22:11

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16 FEB AT 13:31

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13 FEB AT 22:35

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