Archit Sharma   (अर्चित वशिष्ठ 🍂)
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Joined 12 July 2017


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2 JUL 2023 AT 1:35

बेरंगा सा नीरस जीवन
शोर मचाता एकाकीपन

कदम कदम पर झंझावात
डगर डगर है प्रत्याघात
संघर्षों की रेल गाड़ी
समय चक्र है जिसका ईंधन

बेरंगा सा नीरस जीवन

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29 JUN 2023 AT 20:28

जीवन जल रहा है
लावा पल रहा है
सूरज रोशनी में था
अभी वो ढल रहा है

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1 MAR 2023 AT 1:01

साँझ की सी ओर दिनकर बढ़ चला है

गहराइयाँ जब रोष की पाताल हो
उस प्रहर जीवन समूचा काल हो
अब द्वेष का कारण बताओ कौन है
इस प्रश्न का उत्तर हमारा मौन है

है नहीं वह आज जो भी 'कल' रहा था
संघर्ष से संवाद गहरा चल रहा था
आँख में लेकिन यकायक हौसला है
साँझ की सी ओर दिनकर बढ़ चला है

विशेषता होती यही है बदलाव में
हाँ चुभने लगेंगे पुष्प के पर पांव में
ये विवशता ही व्यथा का मूल होगी
यह हताशा ही अभी अनुकूल होगी

क्या करेगा कोई भी सच जान कर के
जा रहा हर स्वप्न का अनुदान कर के
छोड़ कर हर स्वप्न जो क्षण भर पला है
साँझ की सी ओर दिनकर बढ़ चला है

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26 FEB 2023 AT 0:18

किसी दुःख इन्तेहाई पर कभी गुमसुम नहीं होना
तुम्हें तो चाँद बनना है महज अंजुम नहीं होना
मगर सब जान करके भी मुझे हर बार खलता है
मेरा 'मैं' तो हो जाना, तुम्हारा 'तुम' नहीं होना

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20 JUL 2022 AT 21:08

रात की अफ़सुर्दगी में
सोचा के लिख दूँ शायरी
देखा तो तआज्जुब हुआ
भींगी हुई थी डायरी

देखो इसी अन्दाज़ का
हर शख़्स दीवाना मिरा
आज तो लिख कर रहेगा
अब एक अफ़साना मिरा

कुछ ने कहा अब छोड दो
हमने कहा ये ज़ख़्म देखो
भीगे हुए ही काग़ज़ों पर
लिखने लगा मैं नज़्म देखो

यूँ नज़्म के भी भींग जाने
की सिफ़ारिश हो गयी
हर्फ़ लिखने थे धधकते
और बारिश हो गयी

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3 MAY 2022 AT 1:03

चाँद से पूछ लो जो सवालात है
इश्क़ है या महज़ ऐसे हालात है ?

ऐसे हालात पर हम लिखेंगे ग़ज़ल
वो ग़ज़ल जिसमें केवल मुलाक़ात है

मुलाक़ात भी बस हुई तो नज़र भर
क्या नज़र को मिलाना ग़लत बात है ?

ये सही औ ग़लत क्या नहीं जानना अब
वस्ल की आस है, वस्ल की रात है

रात भी कट गयी बिन तुम्हारे यहाँ
तो समझलो यही इश्क़ सौग़ात है

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26 APR 2022 AT 1:03

ये आधी सी प्रेम कहानी कैसे हालात किया करती है
कभी कभी ख़ामोशी तेरी मुझसे बात किया करती

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20 MAR 2022 AT 0:23

वन उपवन क्या फुलवारी क्या
गुल - गुलमोहर की क्यारी क्या
क्या इंद्रधनुष क्या शीशा-घर है
क्या झील नदी क्या ही सागर है
क्या चंद्र सूर्य क्या अम्बर क्या
क्या आभूषण पीताम्बर क्या
हिमगिरि का आकर्षन भी क्या
नित भोर शाम का दर्शन भी क्या

जीवन में सुचिता का संग नहीं होता
अगर ऋष्टि पर कोई रंग नहीं होता

क्या नयन भला क्या नयनों के पट
क्या कुंतल क्या कुंतल की लट
क्या अधरों का अवलोकन क्या
क्या रूप भला क्या सम्मोहन क्या
क्या कंगन क्या बिछिया पायल
क्या मेहंदी क्या गजरा काजल
क्या झुमके क्या ही तरुणाई
क्या ही लाली की अरुणाई

शायद सुंदरता का विकसित ढंग नहीं होता
अगर ऋष्टि पर कोई रंग नहीं होता

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26 JAN 2022 AT 20:54

वह ज्योति जो वीरता की शान है
जिसकी अनल धीरता का मान है
जिसकी प्रभा प्रसरित प्रकृति प्रकांड में
वह जगमगाएगी अटल ब्रह्मांड में

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26 JAN 2022 AT 19:42

अमर जवानों को
उनके बलिदानों को
सर्वत्र बतलाती रहेगी
उठेंगी फिरसे मशालें
फिर से जलेगी ज्योति
जो जगमगाती रहेगी
अमरत्व दर्शाती रहेगी

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