वो अक्सर आती थी,
दूर खड़ी रहती थी,
पास नहीं आती थी,
क्योंकि जब वो आती थी,
मैं हनुमान चालीसा पाठ करता था,
तब वह फौरन भाग जाती थी।
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ॐ नमः शिवाय।
Reel Person
Note- agar quotes achhe Lage to LIKE jrur kre ...
क्या ग़ज़ल लिखूं तुम पर,
ये आंख भर आती है,
तुम रोज याद आते हो,
ये कलम फिर आ जाती है।-
घर में रहकर भी मैं बेघर हूं,
दिन हो या हो रात हमेशा एक सफर में हूं,
सफर का जिसका अंत नहीं है,
अंत की जिसका पंथ नहीं है,
मुझे नहीं कोई पहचाने,
मुझे ना कोई अपना माने,
मुझे ढूंढते हैं सब बाहर
मैं तो अन्दर हूं,
घर में रहकर भी बेघर हूं।।-
फिर से एक कहानी लिखना चाहता हूं,
क्या तुम साथ दोगे ये ज़िन्दगी!
मेरे बिखर जाने से पहले
क्या तुम मुझे मिल सकोगे!-
घर में बड़े बेटे को दुःख तब नही होता,
जब वो मेहनत करके अपने
घर को चलाने की कोशिश करता है ,
बेटे को दर्द तो तब होता है
जब उसे पता चलता है जिसके
लिए वो दिन रात मेहनत कर रहा है,
वही लोग उसे दो कौड़ी के बराबर समझते हैं।-
बीच मझधार में खड़ा हूं,
कभी भी डूब सकता हूं।
आग लगी हो जो घर में,
तो अपने ही घी डालते हैं।-
ये सच्चा प्यार व्यार तो सिर्फ कहानियां हैं
सच तो यह है कि प्यार तो ढल जाता है,
सिर्फ शुरुआत ही रोमांटिक होता है
वह दौर ही कुछ और होता है,
जब वो याद आती है तो
मुस्कुराहट के साथ ग़म भी साथ आता है।-