ये सच्चा प्यार व्यार तो सिर्फ कहानियां हैं सच तो यह है कि प्यार तो ढल जाता है, सिर्फ शुरुआत ही रोमांटिक होता है वह दौर ही कुछ और होता है, जब वो याद आती है तो मुस्कुराहट के साथ ग़म भी साथ आता है।
ठंड है प्रचंड, ये ठंड का प्रकोप और धूप का है लोप, बिस्तरों पर तुम चाय की गुहार दो, न नहा सको अगर तो खोपड़ी भीगो लो और इस तरह से गैप तुम मार दो, जो नहा चुका है मित्र, सिर्फ वही है पवित्र यह बहम ज़हन से तुम उतार दो, कम्बलों को छोड़ जगत के हर प्रलोभनों को बिन कहे सुने ही लात मार दो, ठंड है प्रचंड।