ARCHIT   (✒️अर्चित की कलम से✒️)
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🙂🙁
ॐ नमः शिवाय।

Reel Person

Note- agar quotes achhe Lage to LIKE jrur kre ...
Joined 19 February 2018


🙂🙁
ॐ नमः शिवाय।

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Note- agar quotes achhe Lage to LIKE jrur kre ...
Joined 19 February 2018
22 DEC 2024 AT 23:11



वो अक्सर आती थी,
दूर खड़ी रहती थी,
पास नहीं आती थी,
क्योंकि जब वो आती थी,
मैं हनुमान चालीसा पाठ करता था,
तब वह फौरन भाग जाती थी।

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11 DEC 2024 AT 22:43

क्या ग़ज़ल लिखूं तुम पर,
ये आंख भर आती है,
तुम रोज याद आते हो,
ये कलम फिर आ जाती है।

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12 NOV 2024 AT 18:57

घर में रहकर भी मैं बेघर हूं,
दिन हो या हो रात हमेशा एक सफर में हूं,
सफर का जिसका अंत नहीं है,
अंत की जिसका पंथ नहीं है,
मुझे नहीं कोई पहचाने,
मुझे ना कोई अपना माने,
मुझे ढूंढते हैं सब बाहर
मैं तो अन्दर हूं,
घर में रहकर भी बेघर हूं।।

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10 NOV 2024 AT 11:16

फिर से एक कहानी लिखना चाहता हूं,
क्या तुम साथ दोगे ये ज़िन्दगी!
मेरे बिखर जाने से पहले
क्या तुम मुझे मिल सकोगे!

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19 JUL 2024 AT 20:08

अच्छे भले हंसते हुए अर्चित को
अपनों ने ही तोड़ मरोड़ कर रख दिया।

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9 JUL 2024 AT 16:51

इक दौर ऐसा भी आया मेरे जिंदगी में,
जहां लोग अपने होकर भी बेगाने से है।

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3 JUN 2024 AT 9:03

घर में बड़े बेटे को दुःख तब नही होता,
जब वो मेहनत करके अपने
घर को चलाने की कोशिश करता है ,
बेटे को दर्द तो तब होता है
जब उसे पता चलता है जिसके
लिए वो दिन रात मेहनत कर रहा है,
वही लोग उसे दो कौड़ी के बराबर समझते हैं।

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16 APR 2024 AT 21:22

इक दिन जो मैं खामोश हो जाऊंगा,
तो मैं सिर्फ यादों में रह जाऊंगा।

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6 APR 2024 AT 22:03

बीच मझधार में खड़ा हूं,
कभी भी डूब सकता हूं।
आग लगी हो जो घर में,
तो अपने ही घी डालते हैं।

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3 MAR 2024 AT 23:13

ये सच्चा प्यार व्यार तो सिर्फ कहानियां हैं
सच तो यह है कि प्यार तो ढल जाता है,
सिर्फ शुरुआत ही रोमांटिक होता है
वह दौर ही कुछ और होता है,
जब वो याद आती है तो
मुस्कुराहट के साथ ग़म भी साथ आता है।

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