क्यों होता है ऐसा??
क्यों होता हैं ऐसा,
मिल जाती है एक निर्दोष को सजा।।
क्यों होता हैं ऐसा,
चाहे दोष हो ना उसका कुछ भी,
मगर समाज बना देता दोषी उसे ही हैं।।
क्यों होता हैं ऐसा,
आरोपों के बाद नहीं सुनता कोई,
बात उस शख्स कि हैं,
जिसे पता भी नहीं होता,
कि हो रहा असल मे ये सब है क्या??
क्यों होता हैं ऐसा,
अंत में गवानी पड़ती जान उसे अपनी है,
आखिर निर्दोष ही तोह सबूत हुआ था वो,
समाज के लिए तोह आरोपी वो आज भी हैं।।
क्यों होता हैं ऐसा,
चाहें हो गया हो निर्दोष साबित वो,
मगर न्याय मिलता उससे उसकी मौत के बाद ही हैं।।
शायद ताकत है नहीं कानून में इतनी,
समाज अथवा उस लड़की में हैं।।
अगर है ही इतनी ताकत समाज में,
तोह क्यों साथ नहीं लड़ते इस कानून कि सख्ती के लिए??
क्यों दिला बैठते है एक निर्दोष को,
जीवन ख़तम करने कि वजह!!
तोह आओ साथ मिलके मिटते इस कड़वे सच को है!!
आओ मिलके बदलते इस कानून को हैं!!
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