गुजर जाए दिन
तुम्हारे बाहों ए बिस्तर मे
रखकर दिल को
सुकुन की चाह में
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#पाठक_हूं_लेखक_नहीं,,
#पढ़ने_की_दिलचस्पी_एही
बिन तुम्हारे ज़िन्दगी
खाली सा लगता है,,
बिना चीनी के जैसे
फिकी चाय सा लगता है,,
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आई जब तेरे महफ़िल मे
चाहत वर्षों तेरे चुभन से
लिख गई तब मेरे ज़हन में
प्यार की गीत तेरे कलम से
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तुम से दिल्लगी
तुम को ही पाना है ,,,
तुम से भी मिल जाए बेहतर
फिर भी तुम को ही अपनाना है
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