मै अपनी हर आदत का ,
हिसाब नहीं देती,
मैं मायूस हकीकत के बदले,
अपने ख्वाब नहीं देती ।-
बेवजह,
बेझिझिक,
खुल के मुस्कुराया करो..!!
तुम औरत हो ,
ये सोच के खुद में ना सिमट जाया करो ...!!!
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वो न आएगा हमें मालूम था इस शाम भी
इंतिज़ार उस का मगर कुछ सोच कर करते रहे-
Kaash kuch lafz humein likhna aa jaaye...
Taki tum kya ho mere liye hum tumhe Bata paaye....!!-
Dil ne jab bhi likhna chaha,
yaad bus Ek Tera Naam aaya...
Kya likhun tujh pe tu bus ek raaz hai,
Jissey Sabsey chupke sunti hun, tu vo saaz hai...
Cupkey se milta hai sapno mein mere,
Subha uthke dhundhati hun phir nishaan tere...
Bhul jaati hun ye kahani adhuri hi rahegi,
Vo tujhsey batey karney wali Aankhey ab kuch Na kahegi...!!-
मेरी एक प्रेम कहानी ,
Copy के पिछले पन्ने पर आज भी लिखी हैं,
आज लकीरों ने तुम्हारा नाम मिटा दिया है,
उस कहानी में, हमने लकीरों से तुम्हारा नाम छुपा दिया है !!-
ये वक़्त, बेकायदा, बे दस्तूर कभी,
यादें तेरी आने से पहले इजाज़त नहीं लेती,
कभी ये भी गुनहगार और मेरा भी कसूर कभी,
मैं भी याद करने से पहले कहां वक़्त देखती हूं ।
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एक उम्र भर ,
वह निभाती गई,
जिम्मेदारियां अपनी...!!
जिंदगी और सपने,
उन सात फेरों में,
उलझ कर रह गए...!!-
मिल जाओ किसी रोज, बारिश में खाली रिक्शे की तरह...!!
मुझे मंजिल मिल जाए और तुम्हें हमसफ़र कोई...!!!-