मिट जायें सारी दुरियां और
फिर नयी शुरुआत हो
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Archana Sawant
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Joined 9 August 2018
6 JUL AT 14:22
कली कली खिल उठी, जब बैठे उसपे तितली
कभी इधर तो कभी उधर, ये तो है मनचली-
6 JUL AT 10:48
विटेवरी उभा माझा,सावळा श्रीहरी
तुळशीहार गळा, ठेवले हात कटेवरी
प्रेमाची सावली देई, माझी विठू माऊली
मनी पांडुरंगाचे ध्यान, नाम विठोबाचे मुखी
चंद्रभागेच्या तीरी, झाले धन्य वारकरी
धन्य तो भक्तीभाव, धन्य ती पंढरी-
4 JUL AT 15:55
बंद कर लूं ...फिर भी,
न जाने किस रास्ते से आती हैं,
और ठहर जाती हैं,
यादें तुम्हारी...-