Archana Ramesh Agarwal   (अर्चना अग्रवाल)
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Joined 8 December 2018


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11 JAN 2023 AT 22:26

दर्द कितना है किसको सुनाये समझ नहीं आता
चीर के दिल किसको दिखाये समझ नहीं आता
अपनों के बीच भी तन्हा रहने लगे हैं हम
किसे अपना-किसे पराया बताये समझ नहीं आता

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6 NOV 2022 AT 7:41

मुझे रूठना आता है मनाना नहीं
इसलिए तुम मनाना सीखो रूठना नहीं

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9 JUL 2022 AT 10:45

हम मशाल ढूढ़ते रहे गैरों में
और आग अपनों ने लगा दी

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29 JAN 2022 AT 11:00

क्या बतायें साजना, कैसे बीतते हैं दिन इंतजार के
भूख न होती,फिर भी खाती फुल्के,बिन अचार के

ये मेरा पागलपन था या दीवानगी समझ न आया
जो भी मिला राहों में उससे कर बैठी वादे प्यार के

तुम्हारी याद में प्रियवर होश अपने गँवा बैठी हूँ मैं
खाना-पीना छोड़ के बर्गर-पिज्जा खाती उधार के

बड़े झूठे हैं वो लोग जिन्हें एक चेहरा नजर आता
मैंने बंद की आँखे तो नजर आये चेहरे दो-चार के

तुम क्या समझोगी सच्चे आशिक़ों का दर्द अरचू
उनसे पूछो जिन्होंने खर्च किये हैं नोट दो हजार के— % &

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7 JAN 2022 AT 18:48

84 लाख योनियों के बाद ये मनुष्य जीवन मिला है..... इसे व्यर्थ ना गवाये.....
बारी-बारी से आये और मेरी तारीफ करते जाये.....😍😍😍

कोई धक्का-मुक्की नहीं आराम से सबका नम्बर आयेगा.....😋😋😋

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28 DEC 2021 AT 15:57

जितना पास था वो उतना दूर हो गया
दिलों से खेलना उसका दस्तूर हो गया
खाकर साथ जीने-मरने की कसमें
किसी और कि मांग का सिंदूर हो गया

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15 DEC 2021 AT 22:03

माँ के दुलार की,सजनी के इंतजार की
मौसमे बहार की,इंकार की,इकरार की,
पहले प्यार की जाने कहाँ खो गई वो चिठ्ठियां

चूड़ी की खन-खन से,पायल की छन-छन से
आँसुओं के सैलाब से,अपनों के सवाल से
मन को लुभाया करती थी वो चिठ्ठियां

शर्म और हया से,अपने अंदाज से
दुनिया के डर से,मिलने सनम से
छुप-छुप के जाया करती थी वो चिठ्ठियां

लोग बदले,विचार बदले,तराने बदल गये
खातों को लिखने के जमाने बदल गये
अब न वो इंतजार है,न ही वो प्यार है
न यादों का खजाना है,बस जादू का पिटारा है
एक बटन ने मिटा दी वो चिठ्ठियां
कभी जिंदगी का आधार हुआ करती थी जो चिठ्ठियां
आज खुद का वजूद ढूंढा करती है वो चिठ्ठियां

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8 DEC 2021 AT 11:10

दिल करता है... तू मेरे पास रहे
तेरे हाथों में........मेरा हाथ रहे
जब-जब भी हो मिलन हमारा
गवाह हमारी.......बरसात रहे

न हो ख़्वाहिश चाँद-सितारों की
न आरजू गुलशन की,मीनारों की
आँखे खोलू......बस तुझको देखूँ
जरूरत क्या दुनिया के नजारों की

तू ही सवाल......तू ही जवाब रहे
किसी और कि न......दरकार रहे
मेरी हर साँस में.....हो प्यास तेरी
मुझ जैसा न कोई...तलबगार रहे

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5 DEC 2021 AT 12:17

हर बार जताना पड़े वो प्यार कैसा
समझ के भी नसमझे वो यार कैसा
बन्द पलकों से नजर आ जाये वो
खुली आँखों से करे वो दीदार कैसा

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13 NOV 2021 AT 23:35

प्यार तो प्यार है
उसे न सही
मुझे तो बेसुमार है

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