I use to start understand the world as a colourful....
But it still no colour-
"दरवाजा छोटा ही रहने दो आपने दिल का,
जो जुक कर आ गया अंदर समझो वही है अपना"...-
कल भी मुसाफ़िर थी, आज भी मुसाफ़िर हूं।
कल अपनोके साथ थी, आज अपनी तलाश में हूं।-
सबर कर बंदे मुसीबत के दिन भी
गुज़र जायेंगे।
हसीं उड़ाने वालो के चेहरे भी
उतर जायेंगे।-
तेरी बेरुखी को हद से ज़्यादा
ढोया है हमने,
बिना आवाज़ निकले तकिए
को भिगोया है हमने-
तेरी औकात हम जानते थे
इस लिए हम पीछे नहीं हटे,
बाकी शख्शियत तो आंखों में
देखते ही पता चल जाती है।
रुतबा तो यही बरकरार रहेगा
भले ही उजाड़ले दिन रात एक करेके,
हिम्मत नहीं खोई है अभी
बहुत ही आगे जाना है
"तेरे बस का नहीं" कहा था
उनको भी करके दिखाना है।-
खामोशियां भी अच्छी लगने लगी है
क्योंकी
अब किसी को जवाब नहीं देना पड़ेगा
इस बात सुकून भी है।
और
जो जवाब ख़ामोश रह कर दिया जाए
उसका मजा भी कुछ और है।-
जो जाहिर करना पड़े
वो दर्द कैसा
और
जो
दर्द
समझ ना सके
वो हमदर्द कैसा-
अकेले ही खुश रहना सिखो
क्युकी क्या पता
कब कौन अपना
साथ छोड़ दे-