Archana Mishra  
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Published Poet.. Passionate Poet.
Joined 2 June 2019


Published Poet.. Passionate Poet.
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28 DEC 2020 AT 13:18

जो लगता व्यर्थ है
उसका भी कोई अर्थ है..

~ अर्चना मिश्रा|

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24 DEC 2020 AT 22:34

It's time for you to make merry,
O! The ones who are
down and forlorn.

To all the sufferings
of the mortal world,
Look, a Messiah is tonight born!

Let there be cakes and carols
Let there be beauty and bliss.
Make merry! Make merry!
Let there be blessings hanging
all around in the Christmas Tree!

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20 OCT 2020 AT 11:11

अपने गर्भ में सृष्टि का
पोषण करने वाली
माता कूष्मांडा को ही
जगत जननी कहा जाता है|
(कूष्म= गर्भ की उष्मा, अंड= ब्रह्मांड)
अर्थात् संपूर्ण ब्रह्मांड का अपने गर्भ में
पोषण करने वाली|

माता का यह स्वरूप
सकारात्मक सृजन के लिए
प्रेरित करता है|

~अर्चना मिश्रा|

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19 OCT 2020 AT 13:35

जीवन में त्याग और तप
कभी न जाता व्यर्थ|

ब्रह्माचारिणी के रूप में
भगवान शिव को
पति रूप में प्राप्त
करने हेतु किये गये
तप के पश्चात्
माता, चंद्रघंटा के रूप में
पूजी जाती हैं
जो सुहागन का रूप है|

~अर्चना मिश्रा|

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18 OCT 2020 AT 13:27

शिव को पति रूप में प्राप्त करने हेतु
देवी शक्ति ने सांसारिक सुख-वैभव का
त्याग कर अमोघ तप किया था|

अतएव माता अपने दूसरे रूप में
ब्रह्माचारिणी कहलाती हैं| (ब्रह्म= तपस्या,
चारिणि= आचरण करने वाली)

जीवन में कुछ प्राप्त करने हेतु
कुछ त्याग भी करना होता है..

~अर्चना मिश्रा|

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17 OCT 2020 AT 12:43

प्रथम रूप का आह्वान|
शैल (पर्वत) की पुत्री शैलपुत्री
को शत्-शत् प्रणाम|

ये पर्वत की भाँति अचल,
अडिग रहने वाली हैं|
जीवन में अपने कर्तव्य पथ पर
अडिग रहना,
हमें इनसे सीखना चाहिए|

~अर्चना मिश्रा|


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12 OCT 2020 AT 14:24

लिख डालो
मन में उठे तूफ़ान को
दबे-दबे से अरमान को
तन्हाई की शाम को

होंठों पर जो आ न पायी
उस भूले हुए नाम को

लिख डालो
लिख डालो|

©अर्चना मिश्रा|

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7 OCT 2020 AT 15:16

Do what you can,
with what you have,
where you are.

~ Theodore Roosevelt

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6 OCT 2020 AT 13:06

दुःख से कौन त्रस्त नहीं|

किंतु धैर्य से बड़ा कोई अस्त्र नहीं|

©अर्चना मिश्रा|

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5 OCT 2020 AT 20:00

ये ख़ुशी और उदासी के धुन बजाता कौन है

ज़िंदगी के ये अजीब से नगमें गाता कौन है|

इंसा जो भी करता है, करता है खुशी पाने को

फिर ये दर्द के ग़हरे तराने

उसके दिल को दे जाता कौन है|


©अर्चना मिश्रा|

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