Archana Kurre   (Archana kurre)
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Joined 19 April 2020


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Joined 19 April 2020
2 MAY AT 14:38

सपने में आया करो "

सपने में हमारे भी कभी आया करो
मीठी यादें थोड़ी थोड़ी सजाया करो,
हर लम्हें में ज़िक्र होती है तुम्हारी,
यूँ पास आकर, दूर न जाया करो।
तकरार होती रहती है इश्क़ में,
ज़रा हमारी बातों पर गौर फ़रमाया करो।
सुबह होते ही तुम्हारे चेहरे का नूर दिख जाता है,
न चाहूँ फिर भी जुबां पर नाम तुम्हारा ही आता है,
कमबख्त बड़ा जिद्दी है ये दिल,नासमझ भी है,
पर, थोड़ा प्यार से ही सही, इसे समझाया करो
सपने में हमारे भी कभी आया करो,
मीठी यादें थोड़ी थोड़ी सजाया करो।

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30 APR AT 13:08

जीवन की इस दौड़ में,
कुछ आगे बढ़ जाते हैं,
तो कुछ पिछे रह जाते हैं,
कुछ यादें पुरानी हो जाती है,
तो कुछ लम्हें नए बन जाती है।
जीवन की इस दौड़ में,
कहानी अलग गढ़ जाती है।
नए नए अरमानों के साये में चलकर,
एक ख़्वाब नया सजाते हैं,
जीवन की इस दौड़ में,
कुछ अपने तो कुछ सपने बिखर जाते हैं।

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23 APR AT 12:17

किरदार तो बदलते रहते हैं जिंदगी में,
पर ख़ुद की ख़ुद से पहचान कराना है,
चाहे कितनी भी मुश्किलें आए, जिन्दगी में
पर अपना किरदार बखूबी हमको निभाना है।

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23 APR AT 12:13

बेहतर ना सही पर खुद को मजबूत बनाना है,
आरज़ू बस इतनी सी है कि कुछ अच्छा कर जाना हैं,
ज्यादा न सही पर अपनी एक खास जगह पाना है,
अपना एक नायाब किरदार निभाना है।

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14 APR AT 15:30

जिन्दगी कितनी जल्दी बदल जाती है,
जाने कितने नए नए रंग भर जाती है,
ख्वाबों के साये में जीते लम्हे को,
एक आस, कई सारी दे जाती है।
जो कभी ना सोचा था उसको,
पाने की तकरार बहुत हो जाती है,
जिन्दगी में ज़िन्दगी की बात,
कई गहराई की कर जाती है।





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8 APR AT 21:37

Demotivate तो कोई भी व्यक्ति कभी भी, किसी को भी कर सकते हैं मगर motivate करके उन्हें सफल बनाना तो एक शुभ चिंतक ही कर सकता है। जो आपका बुरा कभी नहीं चाह सकता।

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8 APR AT 21:30

सोच सोच की ही बस फर्क़ होता है, जिसकी जितनी कम होती है वो दूर दूर की सोच लेते हैं, और जिसकी सोच अधिक है वो केवल काम की बात सोचता है बेकार की बात नहीं।

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6 JUN 2023 AT 17:16

चलो मिलकर मुस्कुराते हैं

भीड़ में भी अपनी एक अलग पहचान बनाते हैं,
सच्ची खुशी और प्रेम बरसातें है,
कुछ खट्टी कुछ मीठी यादों को, चलो
फिर से अपना बनाकर प्रीत नयी बनाते हैं,
चलो मिलकर मुस्कुराते हैं।
स्वेत, शशि, लालिमा मिलकर दुनिया अलग बसाते हैं
सुर की तालों में, खुशमिजाज साज़ सजाते हैं
माँ की ममता की आचल में छुपकर,
पिता के साथ कदम से कदम मिलाकर चलते हैं
चलो मिलकर मुस्कुराते हैं।

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27 MAR 2023 AT 19:10

यादों के सहारे ही जीना पड़ेगा।
कुछ तो, दर्द अब सहना पड़ेगा।
ज़िक्र जिनका होता था इन लबों पर,
अब उनके ख्वाबों के साये में,
ग़म को मेरे, अपने हाथों से सीना पड़ेगा।
तन्हाइयों के इस सफर में,
गुत्थियां न जाने कितने है सुलझाने,
इस बेरहम दुनिया के जुल्मों सितम को,
अब अकेले ही, सहना पड़ेगा।

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21 MAR 2023 AT 15:55


मुझे मेरी कलम के नाम करानी है,
अपने विचारों की महफ़िल की आगाज,
सजानी है।
निर्मल, स्वछंद अविकल उपवन,
शीतल मन विचलित, सरगम,
राग, अनुराग, कंचन,
धरा, अतुलित संसार बसानी है।
एक कविता,
मुझे मेरी कलम की नाम करानी है।

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