उसने पुराने खत संभाल रखे हैं,
उसने पुरानी यादें संभाल रखी हैं,
उसने तस्वीरें सहेजी है उसकी,
जहां जगह तुम खुद की देखती हो,
उसने कुरेदा हर वो पुराना जख्म,
जिसे कम करने की कोशिश करती हो,
और इन पुरानी तल्खियों में,
तुम कहीं भी नहीं हो,
कुछ है तो बस,
तुम्हारा वहम।-
इंसान की लिखावट ही उसकी पहचान है।।
कोई रिश्ता अधूरा था जो,
वो अधूरा ही रह गया,
कोई इंसान अधूरा था जो,
वो अधूरा ही रह गया,
संपूर्ण रहा जो अधूरेपन में भी,
वो था प्रेम,
चाहे एक तरफा रहा हो,
या परस्पर।-
वास्तविकता में वास्तविक दृश्यमान है,
गर कोई ओझल है तो वो इंसान है।-
यहां लगे सब भेद भाव में,
कौन खूबसूरत कौन कुरूप,
सारी रिवायतें पीछे रह गई,
पैसा हीं मौला का दूसरा रूप।।-
ना तुझमें दीप का तेज़ है,
ना मुझमें बाती सी पूरकता,
फिर भी कोशिश करते हैं न,
लौ से चिराग बनने की,
वो क्या है,
आज दीपावली है।-
जो खुशियां खरीदी जा सके,
बेझिझक उनको खरीद लेना,
सौगात बटोरने बैठे,
तो गमों की गिनती बढ़ेगी,
खुशियां नहीं।-
गूंजते शोर के बीच,
एक किलकारी गूंजी थी,
वो केवल शिशु नहीं,
मां बाप की पूंजी थी,
फिर एक रोज सन्नाटा था,
पर एक जान तो तड़पी थी,
वो पूंजी विलुप्त हुई घर से,
जो न लड़का था, ना लड़की थी।-
तुम्हें भूख जिस्म की है,
बात मोहब्बत की करते हो,
क़ज़ा है तेरी सूरत और,
बात इबादत की करते हो,
कामत के भक्षण कर्ता तुम,
बात शहादत की करते हो,
निरर्थक शब्दों के गुणी तुम,
बातों की क्या बात करते हो।।
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मैने तो निभाली रूहानी मुहब्बत तुमसे,
तुम्हारी जिस्मानी भूख का आहार बनी,
तुमने जिस कदर मुझे बेकदर किया है,
तुम्हारे घिनौने व्यवहार का शिकार बनी,
तुमने कहा के लौट ये झूठी मुहब्बत लेकर,
तुम्हारे ऐसे झूठे संस्कार का आधार बनी,
तुमने कहा था मैं कफन तक न चढ़ाऊं तुम्हें,
मैं तो तुम्हारे जनाजे का श्रृंगार बनी।।
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इन राहों में अब तुम्हारी दस्तक नहीं,
पर दिल तो आज भी तुम्हारा तन्हा घर लिए बैठा है।।-