हिमालय से नदियाँ निकल चली है
समतल पर भी उनका ठहराव नहीं
राजनीति फिजाओं में इन दिनों
घर में पर अनाज नहीं
सोच तो लेते है अच्छा-अच्छा
पर व्यवहार में नहीं
सुबह शाम बस काम चले
रात में आराम नहीं
बाग बगीचे में जो शांति है
वो मेरे मन में नहीं-
लिखते और पढ़ते रहिये🙏
हर बार चुप रहना जाने क्यूँ सही नहीं लगता
सब फैसले मुझ से जुड़े हैं पर मेरा नहीं रहता
दिन रात जिम्मेदारी जाने क्यूँ एक रहता
आंसू मेरे बहे तो ठीक
वजह मैं खुद जाने क्यूँ रहता
जो खुद को खुश करने जो चला
कोशिश मेरी हर बार नाकाम हुई
सोच सब मुझे अपनी बता दिया गया
मुर्ख मुझे बना दिया गया
कहानी यही खत्म नहीं होती
सोच यही बंद नहीं होती
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सुबह किरणों के पसरते रंगों से दिन शुरू
अखबार में छपी खबर मैं रोज पढूं
साइकिल की घंटियों से रास्ते मानते हार
हर इतवार गाँव में लगता बाज़ार
पेहन फूलों के प्रिंट वाली कुर्ता सलवार
आज आने वाली है किसी की बारात
मन वाली संवाद करते हो जिससे
उससे मधुर व्यवहार बन जाता है हर बार-
पंसद किसको आता नहीं दादी नानी की कहानी
बातें करने का अंदाज है बड़ा रूहानी
जिनके सामने बच्चे- बड़े करते है मनमानी
वो आंगन कभी सुनी न होती जहां रहती है नानी
आंखें बड़ी कर हाथों को फैला कर
कहती है एक था राजा और थी उसकी सुंदर रानी
बच्चों से सदा घिरी हुई, सीख देती हर बार नयी
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तुमको देर से आना है
बातें नई कर के
वादा पुराना निभाना है
इत्र की शीशी की बोतल की तरह
मोहब्बत इस जहाँ में फैलाना है-
रूठ के चले जाओ
इस गली से दूर हो जाओ
शहर भी बदल सकते हो
जाना मत इस दुनियाँ से दूर
छिन इन आँखों का नूर
हर कोई है किसी के लिए प्यारा
माना है मृत्यु इस जहाँ का सच
सच को है मेरा झूठ प्यारा
साथ कोई छोड़ चला गया हो
रूकती नहीं है जीवन किसी का
अपनी आँखों की नदी में वो,
यादों को तैराते हुए बीता रहे है दिन जो....-
मंजिल की चाहत जो जीता उसे भी है और जो हारा उसे भी है
जो जीत गया उसके चेहरे को आप पहचाने या ना पहचाने,
मुश्किल नहीं हारे हुए को पहचाना
हारे को भीड़ से आराम से अलगाया जाना मुश्किल नहीं
मुस्कान के पीछे दबी पीड़ा और प्रेम से दूर भागना मुश्किल नहीं
क्योंकि हारे हुए कुछ अलग से दिखते है आसान है पहचाना-
वक़्त बदल रहा
मेरी तस्वीर बदल रही
देह बदल रहा मेरा रंग बदल रहा
दिखती पहले मासूमियत जो
जिम्मेदारी और दुनियादारी अब तस्वीरें बोल रही
तस्वीरों में जो स्थान बदले विकास ने ले लिया
अच्छी तस्वीर की बात न करो
तब अच्छी आती थी और अब भी अच्छी आती है
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गर पूछ लेते बस मिज़ाज
आसान कितना था इलाज़
लहरों का तेज़ था बहाव ,
मेरी डूब गई जहाज़-