लाखों जिस्म आग में तबाह हो गए ,हम अँधे बने रहे
आज थोड़ा चिंगारी क्या लगी,हम बिलख बिलख कर आग लगाने लगे !-
Archana ✍
(Pihu 🌠)
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अँधेरों में चमकता हुआ चाँद नहीं ,,दीयों के नूर को जो बरकरार रखे वो अँधेरा हूँ मैं..!ଗୋଟିଏ ... read more
Joined 26 October 2018
31 JAN 2020 AT 13:06
7 SEP 2019 AT 16:05
अदा-ए-रुख़ देख मेरी मुझे समझने की गलती मत करना
ये कलाकार है अपनी कलाकारी निभाने में माहिर हैं !-
1 AUG 2019 AT 16:21
परवाह नहीं है,परवाह करने वालों की मुझे
कितनी बेपरवाह हो चली मैं,तेरे लापरवाह इश्क़ में
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30 JUL 2019 AT 10:20
गर हो बात निभानी उनको वफ़ादारी फ़िज़ूल की अना से
तो शायद लाज़िमी है इश्क़ में ख़ुद बेवफ़ा बन जाना !-
15 JUL 2019 AT 23:11
मज़हबी जुल्म के क़हर से घायल खुद है खुदा
उसकी ख़ैरियत में उसको" ख़ुदा हाफ़िज़ "कहे कौन!-
12 JUL 2019 AT 11:08
जब सिर झुक गया हो तेरे ख़्वाब का तो,ऐ आँख
शहज़ादा समझ उसकी ताजपोशी करना फ़क़त एक बेवकूफ़ी होगी-
7 JUL 2019 AT 12:59
वो मिलावटी ना होने पर घुट घुट कर जीता होगा
खरे सोने को भी अक्सर जल्दी टूट जाने का डर सताता होगा
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5 JUL 2019 AT 12:29
कोई नक्शा दे जाओ सुकून को मेरे
बेचारा कब से भटक रहा है जिंदगी की राहों में-
3 JUL 2019 AT 21:01
उसकी नज़रों के दाँत बड़े लंबे और नोकीले निकले
अपनी लंबाई से दो गुना लंबा कपड़ा भी मुझे बचा नहीं पाया-