Arbaz Khan   (अरबाज़ ...✍️)
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Joined 23 June 2019


Joined 23 June 2019
27 JUN AT 22:53

ज़िक्र होगा जो महफिल में रोमांस करने वालों का
देखना मेरे यार तेरा भाई अव्वल नंबर पे होगा
😜

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2 MAY AT 22:41

क्या तुम्हें याद है वो तेज़ बारिश का मौसम
यक़ीनन फिसल कर गिरने से चोट तुम्हें आयी थी
पर यार तुम्हारे इस तस्वीर को देख कर
दर्द तो मुझे भी महसूस हुआ था .. 🥺

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30 APR AT 14:35

कब तलक तुम्हारे फ़ितरत से अनजान बना रहता
इक रोज़ जब तुम्हें मेरे हाथों से फिसल ही जाना था

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24 APR AT 7:58

मैं तो लिख देती मोहब्बत पे किताब
मगर मुझे दुश्मन ए कश्मीर पे ऐतबार कहाँ था 😥

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4 APR AT 23:51

उन्हें इश्क़ नही मुझसे ये उनके अलफ़ाज़ होते थे
अब जो बात नही होती तो वो हमें याद करते हैं
पूछना ये था हमें उनसे अगर इक मुलाक़ात हो जाती
झूठ खुद से बोला था या धोखे में रखना फितरत थी तुम्हारी

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4 APR AT 23:46

किस हाल में हैं वो इससे क्या गरज़ हमको
मुरशद ,
इस बात का भी अहसास दिलाना अभी बाकि है

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27 MAR AT 12:06

इश्क़ करके मुकर जाना
बेवफ़ाओं की यही दलील होती है

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27 MAR AT 12:00

ज़ख्म देकर कभी खुश न रह पाओगे
दिल की आह तुम्हें खूब रुलायेगी इक दिन
फिर ढूँढोगे मुझे और मिल न पाओगे
चैन से इस दुनिया में तुम भी ना रह पाओगे

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27 MAR AT 11:53

दिल तो करता है हर बात ज़माने को बताऊं मैं
अपने लिखने के अंदाज़ से तेरी बेवफ़ाई दिखाऊँ मैं

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27 MAR AT 11:50

किसको तलब ये कि ग़म मुकद्दर में लिखा जाये
तुम मिलते नहीं हम इश्क़ करते नहीं
ग़म मिलता नहीं हम रोते नही

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