तकलीफ़ों का समन्दर ख़ुद को है पीना
खज़ाना ख़ुशी का सब पे लुटानी है मुझे
रिश्तों के सफ़ऱ में एहसास हुआ है अब
उठा अपनी लाश ख़ुद ही जलानी है मुझे
शिवांग द्विवेदी✍️-
उत्तर प्रदेश(U.P)💐💐👇👇
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मुद्दतों से कुछ इस कदर ज़िंदगी चल रही मौला
न सूरज निकल रहा,न काली रात ढल रही मौला
शिवांग मुसाफ़िर✍️✍️-
हर मनुष्य माता सीता,लक्ष्मण, रावण का एक अद्भुत समागम है!!!
"सीता हृदय हैं,लक्ष्मण बुद्धि हैं,मन रावण"
"बुद्धि" द्वारा खींची गई "लक्ष्मण रेखा" को "हृदय रूपी सीता" जब भी लांघती है तभी "मन स्वरूप रावण" छल कर सकता है।
शिवांग द्विवेदी✍️-
आया पतझड़ तो रोई जर्रा-जर्रा टहनियों की ।
जड़ें सख़्त हैं भले मगर साथ निभाई ताउम्र है।।
शिवांग द्विवेदी✍️-
मातृत्व(शक्ति स्वरूप) भाव-
कैकेई जैसी माता बनो। मगर वह भाव अपने पुत्र को राजा और दूजे को वनवास की चाह से नहीं,अपितु किसी महान जीवन को सार्थक बनाने के लिए जगत का सन्ताप भी सहना पड़े तो मंजूर है अगर उस संताप से बड़ा वह कार्य हो,जैसे माता कैकेई भरत के निगाह में गलत हैं,मगर राम को "मर्यादा पुरोषोत्तम" बनाने में अहम भूमिका है इसलिए प्रभु श्रीराम की नजर में प्रथमपूज्य माता वही हैं.
🙏💐जय सिया राम💐🙏
शिवांग द्विवेदी✍️-
💐राम पथ💐
जानता है धरा का कण-कण रोम-रोम
जिस राह ने बनाया राम को पुरुषोत्तम
फिर किन उलफ़्तों में फंसा जग बांवरा
जानकर भी उस राह पर चलता नहीं है
शिवांग द्विवेदी✍️
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जीवन की हर चाल, जब देती हृदय को घाव हो।
तूफां से डरकर नहीं खुद से हारके डूबती नाव हो।।
दिल के खालीपन में कैसे करूँ किसी को शामिल।
जब हृदय ही चाहता अब, साथ ना कोई छाँव हो।।
शिवांग द्विवेदी✍️-
💐जय हिंद💐
हिंदुओं की गुलिस्तां का दीद हूँ मैं।
मुस्लिमों में इल्म,अना का ईद हूँ मैं।।
अपनों में जमीं बाँटकर लड़ने वालों।
जो मिट्टी पे मर मिटा वो शहीद हूँ मैं।।
शिवांग द्विवेदी ✍️✍️-
अनादि भी तू,अनन्त भी तू
शांति भी तू, संक्रान्ति भी तू
धारि गंग भी तू,भुजंग भी तू
"तरल" अनल "गगन" पवन"
शिवोहम ॐॐ ॐ शिवोहम
शिवांग द्विवेदी✍️-
ये जहां मना रहा जश्न पर मुझे मलाल आ रहा है
कि इस साल का हर सवाल नए साल जा रहा है
क्या सभी को मिल गयी अपनी-अपनी मंज़िल
या मस्त हैं बस यूं कि जी का जंजाल जा रहा है
शिवांग द्विवेदी✍️-