... क्योंकि चाॅंद की ही तरह पसंद तो हो तुम मुझे, पर तुम मेरे साथ नहीं तुम दिखते तो हो मुझे, पर कभी रूबरू होते नहीं निहारती तो हूॅं हर रोज तुम्हें, पर कभी लफ्ज़ बयां करती नहीं चाह तो बहुत है तुम्हारी, पर शायद तुम्हें पा सकती नहीं ।
आती है मैं खो जाती हूॅं उसके ख़्यालों में... उन ख़्यालों में, जब मिले थे हम पहली बार, जब पड़ी थी हम पर बारिश की फुहार... जब थामा था उसने मेरा हाथ, जब कहा था उसने कभी ना छोड़ेगा मेरा साथ... ख़ैर... ये हुआ भी तो है बस ख़्यालों में
When You & I met for the first time... It was like The Stars shining at their best... The Moon was completely round... The birds chirping the purest form of love... The flowers showering the beautiful blossom... . . The night was more ravishing than earlier.