27 FEB 2022 AT 0:24

सिसकती है जिंदगानी, आज युद्ध के मुहाने पर!
लुट रहे क्यों आशियाने, मात्र इक फसाने पर?
खो गया विवेक क्यों, यूक्रेन और रुस का!
इजराइल और लेबनान में भी, हो रहा विनाश क्यों?
ईरान और तुर्की भी हैं युद्ध को बेकरार क्यों?
बारूद के इस ढेर पर, यूँ खेलता विकास क्यों?
घोर क्रुर्रता के दंश से, धरा का सीना लाल है!
बुद्ध छोड़ युद्ध का, क्यों हो रहा प्रसार है?
दो शासकों के बीच में, क्यों पिस रहा आवाम है?
है याचना तो अपनी बस, रुके युद्ध का विध्वंस अब!
मिटे नफरतें दिलों से सब, बजे शांति का फिर बिगुल!
चाहे मुश्किलें आगाध़ हो, ना मानवीयता हताश हो!
शांति से हल करें, चाहे कितना बड़ा विवाद हो!
चहुँ दिशा में अब तो बस, अमन-चैन का विकास हो!
दिव्य-ज्ञान चक्षु खुल जाए अगर, तो विश्व मेंरा ये शांत हो!
है दुआ रब से मेंरी, अब बंद ये विनाश हो!!
खिलखिलाए सम्पूर्ण धरा, फिर से सभी आबाद हो!!
आराधना मल्होत्रा 🙏












- Aradhana Malhotra