Aquib Siddiqui   (:) ♡Khamosh Alfaz🙂)
3.3k Followers · 417 Following

read more
Joined 28 October 2018


read more
Joined 28 October 2018
21 DEC 2022 AT 14:57


आँखें ग़ज़ाल,ज़ुल्फ़-ए-दराज़,लब गौहर-ए-नायाब कोई
ये तबस्सुम, हया, तराशा-बदन, है इतना ल-जवाब कोई
हुस्न -ए- दिलकश- ओ - दिलनशीं सूरत -ए- आफ़रीन
सोचता हूं आँख मल-मल के हो हक़ीक़त या ख़्वाब कोई

-


9 OCT 2022 AT 0:43

तुम जो आती हो रोज़ चुपके से ख़्वाब में
रात क्या दिन भी गुजरते है फैज़याब में

नरमी,हया,हल्की मुस्कुराहट सी आवाज़ में
उम्दा लहज़ा है तिरे तहज़ीब-ओ-आदाब में

आँखें ग़ज़ाल,हुस्न-ओ-जमाल,माशाअल्लाह!
और भी प्यारी,मासूम लगती हो तुम हिजाब में...

-


18 JUN 2021 AT 11:14

इतना न चाहो उसे कि बेवफ़ा हो जाये
ख़्वाब बिखरे और नींद धुऑं हो जाये!

बेचैन सी सुबह और शाम बेख़बर,
हर दिन खफ़ा जैसे हर रात सजा हो जाये!!

-


11 MAY 2021 AT 17:07

मेरी जानाँ तुम मुझसे मसावात क्यों नही करती
मेरी तरह निगह-ए-इल्तिफ़ात क्यो नही करती

कहती हो काश कुछ कर सकते मेरी तबियत का
अगर ऐसा है तो फिर मुलाक़ात क्यो नही करती

-


26 MAR 2021 AT 11:03

तू कहे तो इक ग़ज़ल की शुरुआत करू
मतले से मक़्ते तक तिरे हुस्न की बात करू

उतार लूँ अक़्स तेरा हर लफ्ज़ लफ्ज़ में
फिर समेट के मिसरों में तुझसे मुलाक़ात करू

है चेहरा जो पोशीदा सुख़न में अब तलक तेरा
नाम ले के सर-ए-महफ़िल तअ'ल्लुक़ात करू

है रू ब रू ऎसे निगह-ए-नाज़-ओ-हया 'आक़िब'
दिल चाहता है आज कुछ तो मुआ'मलात करू

-


31 DEC 2020 AT 16:50

एक रात ऎसी ख़्वाब में आने लगी
फूलों से महकती शबिस्तां बुलाने लगी

आहिस्ता आहिस्ता आए क़ुर्बत में इस तरह
साँसें उनकी मेरी साँसों से टकराने लगी

हम नज़र से तज़किरा-ए-हुस्न करते गए जो
वो ऑंखें बन्द कर-कर के शरमाने लगी

रात मदहोश रही इस क़दर सोहबत में
ख़ुश्बू उनकी मेरे जिस्म से आने लगी

-


27 NOV 2020 AT 15:56

ख़ामोश अल्फ़ाज़ में ये ज़िन्दगानी लिख दिया
मेरे दीवानेपन के सब किस्से कहानी लिख दिया

वो चेहरा, वो ज़ुल्फ़ें,वो ख़ुश्बू ,वो आँखें, वो बातें
अपनी मोहब्बत की हर एक निशानी लिख दिया

-


14 SEP 2020 AT 13:04


जिनसे न थे मुख़ातिब कभी उनके नाम आ गए
एक नाम छुपाते छुपाते कितनों के नाम आ गए

-


20 JUL 2020 AT 14:03

मैंने हर सुख़न मे एक नाम छुपा रखा है
उसकी ख़ुश्बू से ग़ज़ल सजा रखा है

उसने कहा था एक रोज़ पसन्द है सुख़नवर
बस उसी बात ने शायर बना रखा है

कभी देखूं आँख भरके कभी सीने लगा लू
एक तस्वीर से दिल अपना लगा रखा है

तू भी चिढ़ जायेगा देख मेरे महबूब को
चाँद - सितारों ने भी मुँह बना रखा है

उसके हाथो पे लिखा मेहँदी से 'आक़िब'
वो शब-ए-वस्ल ने अभी से जगा रखा है

-


12 JUL 2020 AT 13:13

जमीं पे, फ़लक पे, तारीखों में, चाँद-सितारों में नही दिखता
कुछ तो जरूर है तुझमे ऐसा जो औरों में नही दिखता

-


Fetching Aquib Siddiqui Quotes