हमारी बेबाकी ने हथियार टाल दिया
रोज दिल जलाते रहे
और दिल खाक कर लिया
सुकर अदा करना था उस रब का
जिसने मोहब्बत की किताब पढ़ाई
पर उस किताब के आख़िरी पन्नो पर
बर्बादी का ऐलान कर दिया
आख़िर हमारी बेबाकी ने क्या कमाल कर दिया
ज़ख्म लेते गए, अरमा सिलते गए
नूर बढ़ता गया उस चांद का
और हम खुद को मदहोश करते गये
जब जब देखा आसमां की तरफ
हर दफ़ा बस यही पूछा
हमने खता क्या की थी ऐ-रब
ये इश्क के नशे ने
क्यों हमें बर्बाद कर दिया-
Instagram = ashq_swar
*मेरे जिंदगी के वो 40 घंटे* --
आखें जैसे झील है कोई
जी करता है कि डूब जाऊ
तू पास जो था मेरे
दिल करे कि कभी न दूर जाऊ
न हो जमाने में कोई ओर
तू और मैं, और मै सबको भूल जाऊ
तेरे होंठ जैसे गुलाब कोई
दिल करता है इनकी महक में डूब जाऊ
तुझसे गले लग कर एहसास हुआ
की उन बाहों में ही अपना घर बनाऊ
पर, जब तुमने कहा कि अब जाना होगा
दिल कहे रोक उसे, कोई तो बहाना होगा
काश होता मेरे हाथ में तो रोक लेती
पर, तुमने कहा अब तो घर जाना होगा
बता नहीं पाई मै
की इस दिल का कैसे गुजारा होगा
अब बताओ इस दिल को कैसे समझाऊं मैं
तुम नहीं मेरे नसीब में
क्या है कोई उपाय, कैसे उस रब को मनाना होगा
चाहती हु कि रख लू छुपा कर तुझे दुनिया से
दिल कहता है अब ये दिल किसी ओर का न दीवाना होगा
- Apurva raj
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अपने हाथों की लकीरों मे ढूंढ़ती एक कहानी
एक लड़की, थोड़ी पागल थोड़ी दीवानी
सच झूठ सब से परे
ओढ़े एक मासुमियत की चादर
उस चादर तले एहसास में उलझी वो मस्तानी
वो लड़की, थोड़ी सयानी तो थोड़ी अंजानी
बटते उस चांद की रोशनी देख कर
वो हर पल घबराती
न जाने उसके हिस्से कितने आ पाए
उसकी हाथों की लकीरों पर पड़ती वो निशानी
बताते कुछ धुंधले से ख्वाब और कई छुपी कहानी
वो लड़की, थोड़ी समझदार और उसमें थोड़ी भरी नादानी
एक लड़की थोड़ी पागल थोड़ी दीवानी-
ख्वाहिशें इबादत नहीं होती
असल मैं हर बार बात
सिर्फ चाहत की नहीं होती
कुछ चंद वादों का झरोखा है
जिसकी गिनती आदत में नहीं होती
ना इबादत! ना आदत! ना चाहत!
बात अगर होनी होती
तो सिर्फ जरूरत और राहत की होती!
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आ कर गले लगाए मुझे वो
एक बार नींद से सुलाए मुझे वो
नहीं चाहिए दुनिया की तमाम रंगत
बस कुछ पल सुकून के दिलाए मुझे वो
आ कर बस एक बार बहलाए मुझे वो
वो चाहे कितने भी रंग ओढ़ ले
चाहे बसा ले जनत मे अपना मकान
मैं क्यों सोचू की कल में क्या लिखा है
आ कर दिलासे दिलाए मुझे वो
काश! एक बार गले लगाए मुझे वो-
कुछ शब्द है जो हमे तीर की तरह चुभते है
हम रोजाना उस दौर से न चाहते हुए भी गुजरते है
तालुक नहीं रखते हम उनसे जो मिला करते है इतिफाक से!
दर्द तो हमेशा वो देते है जो हर रोज हमदर्द बनकर मिला करते है
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कुछ लम्हें खुद के साथ ही बेहतर है
कई बात दिल के कब्र के पास ही बेहतर है
जब जान ले ये जमाना आपकी कमजोरियां
तो अपनी एक झूठी मुस्कान ही बेहतर है
कुछ एहसास राजदार ही बेहतर है
जब ना दिखे कोई रास्ता बेहतर
तो वो टूटे सड़क के दाग़ ही बेहतर है
हजार गलतियों पर भी जो अपना माने
इंसानों से बढ़कर वो भगवान ही बेहतर है
कुछ लम्हें खुद के साथ ही बेहतर है।-
जो चार लफ्जों में है दिल की कहानी
दो मैं हूं, दो वो रात सयानी
जाने किस-किस ने देखा हो वो अंधेरा
जिसके पीछे है वो बातें पुरानी
बस चार लफ्जों में सिमटी है, वो दिल की कहानी
दास्तां अजीब है, दो दिल के करीब
तो...दो दिल के लिए मरीज़ है
देखा है टूटते तारों को रातों में
जिसमे छिपी है चार लफ्जों की कहानी
दो मैं हूं, दो वो रात सयानी
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ये कहानी तुम्हारी है
इसमें कुछ तो कमाल लिखना
सवाल कैसा भी हो
जवाब बेमिशाल लिखना
न हो रुसवा तुमसे इस जमाने में कोई
कुछ अपना ऐसा किरदार लिखना
जब जाओ तुम ये दुनिया छोड़ कर
उस वक़्त अपना आखिरी पैगाम लिखना
ये कहानी सिर्फ तुम्हारी है
इसमें बहोत कुछ कमाल लिखना...-
कहाँ है अपने - कोई दिखाए तो
बिन दाग कोई रिश्ते निभाए तो
रब को मालूम है मेरी परवरिश का
कोई बिन उंगली उठाए एक बार समझ जाए तो
कहाँ है वो अपने- कोई दिखाए तो
दुनिया में कितने चेहरे फरेबी है
कितनी आशाएं टूटी है
कितनो ने दिल दुखाया है
इन सब से, बस एक बार उभर जाए तो
कोन है अपना....कोई एक दिख जाए तो-