जो चार लफ्जों में है दिल की कहानी
दो मैं हूं, दो वो रात सयानी
जाने किस-किस ने देखा हो वो अंधेरा
जिसके पीछे है वो बातें पुरानी
बस चार लफ्जों में सिमटी है, वो दिल की कहानी
दास्तां अजीब है, दो दिल के करीब
तो...दो दिल के लिए मरीज़ है
देखा है टूटते तारों को रातों में
जिसमे छिपी है चार लफ्जों की कहानी
दो मैं हूं, दो वो रात सयानी
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