कौन भूल पाता है जुदाई का दिन ,
हर शख़्स के पास एक तारीख़ पुरानी होती है-
Apurv Jha
(Apurv jha)
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Poet ¦ हिन्दी ¦ INDIAN | IAS aspirant | JAI HIND
Joined 26 January 2018
21 FEB 2022 AT 23:00
5 SEP 2020 AT 20:30
जब डूब के ही मरना है तो सोच क्या रहे हो
झील सी आँखों में उतर क्यूँ नहीं जाते ....-
4 SEP 2020 AT 15:21
दिन-भर हारने के बाद, जहां लौट के आता था,
जहां माँ को देखते ही मैं फिर से जीत जाता था।
वो दर याद आता है,
मुझे घर याद आता है।
सारांश-
4 SEP 2020 AT 11:03
एक कपड़ा खरीदवाने ले जाते थे, दो-दो खरीद के ले आते थे,
पापा ने अपनी फकीरी में भी हमें अमीरों के शौक दिलवा दिए !
सारांश झा-
13 AUG 2020 AT 20:09
जब मिले वसुधा कि ममता तेरी मेहनत और लगन,
मिट्टी तो मिट्टी पत्थर पे उपज आए अन्न।
हे अन्नपूरक, हे हलधारक
आश्रित है तुझपे जन गण मन।।-