कौन भूल पाता है जुदाई का दिन ,हर शख़्स के पास एक तारीख़ पुरानी होती है -
कौन भूल पाता है जुदाई का दिन ,हर शख़्स के पास एक तारीख़ पुरानी होती है
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हकीकत जागती रही सारी ही रात, नींद सपने लेकर सो गई थी। #अपूर्व -
हकीकत जागती रही सारी ही रात, नींद सपने लेकर सो गई थी। #अपूर्व
समंदर तू बेकार में इतना इतराता हैमत भूलना प्यास दरिया ही बुझाता है -
समंदर तू बेकार में इतना इतराता हैमत भूलना प्यास दरिया ही बुझाता है
जब डूब के ही मरना है तो सोच क्या रहे हो झील सी आँखों में उतर क्यूँ नहीं जाते .... -
जब डूब के ही मरना है तो सोच क्या रहे हो झील सी आँखों में उतर क्यूँ नहीं जाते ....
लाज़िम है कि उससे भी ख़ता हो जाये....मुमकिन नहीं इंसान ख़ुदा हो जाये -
लाज़िम है कि उससे भी ख़ता हो जाये....मुमकिन नहीं इंसान ख़ुदा हो जाये
दिन-भर हारने के बाद, जहां लौट के आता था,जहां माँ को देखते ही मैं फिर से जीत जाता था। वो दर याद आता है, मुझे घर याद आता है। सारांश -
दिन-भर हारने के बाद, जहां लौट के आता था,जहां माँ को देखते ही मैं फिर से जीत जाता था। वो दर याद आता है, मुझे घर याद आता है। सारांश
एक कपड़ा खरीदवाने ले जाते थे, दो-दो खरीद के ले आते थे,पापा ने अपनी फकीरी में भी हमें अमीरों के शौक दिलवा दिए ! सारांश झा -
एक कपड़ा खरीदवाने ले जाते थे, दो-दो खरीद के ले आते थे,पापा ने अपनी फकीरी में भी हमें अमीरों के शौक दिलवा दिए ! सारांश झा
जब मिले वसुधा कि ममता तेरी मेहनत और लगन,मिट्टी तो मिट्टी पत्थर पे उपज आए अन्न।हे अन्नपूरक, हे हलधारकआश्रित है तुझपे जन गण मन।। -
जब मिले वसुधा कि ममता तेरी मेहनत और लगन,मिट्टी तो मिट्टी पत्थर पे उपज आए अन्न।हे अन्नपूरक, हे हलधारकआश्रित है तुझपे जन गण मन।।
'स' से सफल होने के चक्कर में हम 'स' से समाप्त हो गए। -
'स' से सफल होने के चक्कर में हम 'स' से समाप्त हो गए।
बिछड़ के कुछ लोग ना मिले फिर, अबके साल फरवरी ना हुआ। #अपूर्व -
बिछड़ के कुछ लोग ना मिले फिर, अबके साल फरवरी ना हुआ। #अपूर्व