Apurv Jha   (Apurv jha)
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Poet ¦ हिन्दी ¦ INDIAN | IAS aspirant | JAI HIND
Joined 26 January 2018


Poet ¦ हिन्दी ¦ INDIAN | IAS aspirant | JAI HIND
Joined 26 January 2018
21 FEB 2022 AT 23:00

कौन भूल पाता है जुदाई का दिन ,

हर शख़्स के पास एक तारीख़ पुरानी होती है

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8 SEP 2020 AT 21:54

हकीकत जागती रही सारी ही रात,

नींद सपने लेकर सो गई थी।

#अपूर्व

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7 SEP 2020 AT 11:07

समंदर तू बेकार में इतना इतराता है
मत भूलना प्यास दरिया ही बुझाता है

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5 SEP 2020 AT 20:30

जब डूब के ही मरना है तो सोच क्या रहे हो

झील सी आँखों में उतर क्यूँ नहीं जाते ....

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5 SEP 2020 AT 9:34

लाज़िम है कि उससे भी ख़ता हो जाये..
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मुमकिन नहीं इंसान ख़ुदा हो जाये



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4 SEP 2020 AT 15:21

दिन-भर हारने के बाद, जहां लौट के आता था,
जहां माँ को देखते ही मैं फिर से जीत जाता था।
वो दर याद आता है,
मुझे घर याद आता है।

सारांश

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4 SEP 2020 AT 11:03

एक कपड़ा खरीदवाने ले जाते थे, दो-दो खरीद के ले आते थे,
पापा ने अपनी फकीरी में भी हमें अमीरों के शौक दिलवा दिए !

सारांश झा

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13 AUG 2020 AT 20:09

जब मिले वसुधा कि ममता तेरी मेहनत और लगन,
मिट्टी तो मिट्टी पत्थर पे उपज आए अन्न।
हे अन्नपूरक, हे हलधारक
आश्रित है तुझपे जन गण मन।।

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13 AUG 2020 AT 14:30

'स' से सफल होने के चक्कर में हम 'स' से समाप्त हो गए।

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12 AUG 2020 AT 19:59

बिछड़ के कुछ लोग ना मिले फिर,

अबके साल फरवरी ना हुआ।

#अपूर्व

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