Apsha saifi   (Strings of the words)
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Joined 31 January 2021


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6 MAR AT 14:25

तेरे दीदार को दिल पर दी दस्तक
पूरी हुई हो जैसे कोई ख़्वाब की हक़ीक़त

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8 FEB AT 12:55

ख़ुद को भुला कर तेरी लकीरों में आई हूँ
मैं अपने साथ अपनी उदासी पुरानी लाई हूँ
होकर ख़ाक मैं, तेरे इश्क में अवाद होने आई हूँ
तू अगर हो राज़ी मैं तुझमें समाने आई हूँ

सभी क़समे वादे हैं फ़रेबी,मैं सिर्फ़ तेरी होने आई हूँ
मैं अपने साथ थोड़ी अल्हड़ और शैतानी लाई हूँ
होकर तनहा मैं, तेरे संग ज़िंदगी जीने आई हूँ
तू अगर हो राज़ी मैं तुझमें फ़ना होने आई हूँ

………… कहो ना प्यार है 🤭😜😍😍😍
शोहर जी कहो ना प्यार है
👀👀👀
मुझे आपकी हाँ का इंतेज़ार है
🤓🤓🤓🤓🤓🤓

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6 NOV 2024 AT 13:43

ख़ूबसूरती फीकी दिखाई दी उनकी जिन्होंने चाँद में दाग देखा
मैंने जो देखा नूर जैसे हूर लगा रात में कोई जगमगाता चिराग़ देखा

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19 OCT 2024 AT 14:14

ये सरवती आँखें ये ज़हर-ए- श्रृंगार
खाना खाऊँ या तुम्हारा करूँ दीदार

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13 OCT 2024 AT 17:47

इश्क़ लिखूं कि ज़हर लिखूं
उसकि मोहब्बत को मैं कौनसा कहर लिखूं

जब भी सोचूं उस को उसमें बिताया कोई शहर लिखूं
उसके अच्छे भले सफ़र का मैं एक पहर लिखूं

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13 OCT 2024 AT 14:09

ज़िंदा हुँ फिर भी मौत की ख्वाहिश है,जाने क्यों
मैं उसका तो हुँ पर उसके हिस्से में अभी तक नहींं

थाम रखा है जहाँ इशारो पे सारा का सारा,जाने क्यों
इक वो शख्स है की मेरे गिरफ्त में अभी तक नही

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13 OCT 2024 AT 14:05

ये जीस्त ही थी जिसने मरने ना दिया
बगरना मारने को जमाना तैयार था

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20 AUG 2024 AT 9:51

मिलती है ख्वाबों में अब भी उसकी तामीर कहीं कहीं
मैं ठहर जाता हुँ उसकी यादों में अब भी कहीं कहीं

सुहानी सी लगती है उसकी ओझल सी यादें कहीं कहीं
मै अब भी मरने को तैयार हुँ, अगर उसकी इज़ाज़त हो कहीं कहीं

उसमें थी जो नज़ाकतें हज़ारों,थी थोड़ी ज़िद्द कहीं कहीं
मै मुक़ाम था उसका,वो ज़हर थी कहीं कहीं

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28 JUL 2024 AT 14:26

कभी जख़्मो से ,कभी अश्को से खुद को सजा हुआ पाया
हमने हर रोज खुद को मरा हुआ पाया

जब भी निकले आँखों से आंसु,हमको यार बस तेरा दिया जलबा याद आया
हमने हर मुस्कुराहट पर खुद को बेबस पाया

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6 JUL 2024 AT 13:36

तुझसे नाराज़ नही मै
बस अब किस्मत पर यकीन नही

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