@api .. ✍️
सुनो ना,
आज कुछ बात करनी थी,
मुक़म्मल
अधूरी मुलाक़ात करनी थी....
ये जो है.....दरमियाँ,
कश्मकश का दरिया....
उन फासलों में,
सावन की बरसात करनी थी...
बिखरी सी है जो यादें
इन्हें समेटकर,
फिर से,....इस कहानी की,
शुरुआत करनी थी,
मुक़म्मल,
.
.
.
अधूरी मुलाक़ात करनी थी.... ❤️-
Api❣️
कुछ बताना चाहती है
ये जिन्दगी आजकल
कुछ समझाना चाहती है...
पता नहीं ये इशारे किस ओर जाते हैं
ख़ामोशी में भी ये बहुत शोर मचाते हैं...
जैसे भटकी हूँ मैं खुद से,
आकर संभालना चाहती है...
मौन अधरों को देकर गीत,
कुछ गुनगुनाना चाहती है.... ❤️-
मोहब्बत में होकर गमदीदा...
सुकूँ की तलाश में भटके हैं,
ठग चुके है एहसासों के सौदे में,
इश्क _ए_अत्फ़ की इल्तिज़ा में बैठे हैं.....❣️-
उम्मीदों के शिखर पर,
हर बार चढ़ते हो तुम...
स्वयं को अर्पण कर,
फिर बिखरते हो तुम... 💔
अर्पण जो कर ही दिया,
तो स्वयं को ढूढ़ते हो क्यूँ...
ज़ब अस्तित्व खोना नहीं है,
तो साथ मांगते हो क्यूँ ... ❣️
डगमगाए से कदम तुम्हारे,
अब थककर ठहर चुके हैं...
अब लफ्ज भी खामोश है,
और अश्रु भी थम चुके हैं... ❣️
मत करो स्वयं को निछावर,
किसी संवेदना की आश में...
खुद को वेदना से मुक्त कर,
जगा लो चेतना अब हृदय में.... ❣️
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उम्मीदों के शिखर पर,
हर बार चढ़ते हो तुम...
स्वयं को अर्पण कर,
फिर बिखरते हो तुम... 💔
अर्पण जो कर ही दिया,
तो स्वयं को ढूढ़ते हो क्यूँ...
ज़ब अस्तित्व खोना नहीं है,
तो साथ मांगते हो क्यूँ ... ❣️
डगमगाए से कदम तुम्हारे,
अब थककर ठहर चुके हैं...
अब लफ्ज भी खामोश है,
और अश्रु भी थम चुके हैं... ❣️
मत करो स्वयं को निछावर,
किसी संवेदना की आश में...
खुद को वेदना से मुक्त कर,
जगा लो चेतना अब हृदय में.... ❣️
-
वक्त तो चलता रहता है, कभी कभी मैं ही ठहर जाती हूँ..
जहन में ज़ब आता ख्याल,
ठहरने की वजह क्या है?
बस एक ख़ामोशी !
इसी
जवाब के साथ,
फिर से चलने लगती हूँ... ❣️
-
सफर -ए -जिंदगी में,
बस तेरा साथ काफ़ी हो... ❣️
इस दुनियां की दलीलों में,
शोर सुनाई दे जो खिलाफत का,
"अरे मैं हूँ ना तेरे साथ "
बस ये अल्फाज़ काफ़ी हों.... ❣️
-
खुद को खोजिये, नहीं तो आपको दुसरे लोगों के राय पर निर्भर रहना पड़ेगा जो खुद को नहीं जानते.
Osho
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हृदय हो जाए झंकृत,
ऐसी सुरीली धुन हो तुम...
रूह को छूने वाला,
स्पर्श हो तुम....
हमेशा सहेज कर रखना चाहूँ,
ऐसे खूबसूरत पल हो तुम..
मोहब्बत, इश्क,
प्यार, आशिकी,
इन लफ़्ज़ों से कहीं आगे,
मेरी जिंदगी का सुकूँ हो तुम ....-
मोहब्बत,
इश्क,
प्यार,
आशिकी,
इन लफ़्ज़ों से कहीं आगे,
मेरी जिंदगी का सुकूँ हो....❣️-